Bangladesh Temple: बांगलादेश में कितने हिन्दू मंदिर, क्या है उनकी हालत

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार। बंग्लादेश में हालात हिंसा, विरोध प्रदर्शन और अजारकता का माहौल बना हुआ है। प्रधानमंत्री के पद से शेख हसीना के इस्तीफा देकर देश छोड़ना के बाद से ही हालात बद से बत्तर हो गए हैं। 27 जिलों में हिंदुओं के घरों और कारोबारों पर हमले हो रहे हैं। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली के खिलाफ शुरू हुआ विरोध पूरे देश में बड़े पैमाने पर लूटपाट और दंगों में बदल गया है, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय, मुख्य रूप से हिंदू, पर हमले हो रहे हैं। शेख हसीना के भारत भाग जाने और अभी अंतरिम सरकार के गठन के साथ, मंदिरों में आग लगाए जाने और हिंदुओं के घरों और व्यवसायों पर हमले के वीडियो सोशल मीडिया पर बाढ़ आ गए हैं।

बांग्लादेश के डेली स्टार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार को कम से कम 27 जिलों में भीड़ ने हिंदुओं के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमला किया और उनका कीमती सामान भी लूट लिया। जमात-ए-इस्लामी ने हिंदू मंदिरों को निशाना बनाने की बात कबूल कर ली है।

बांग्लादेश धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध वाला देश है। यह भले ही मुस्लिम बहूल्य देश हो, लेकिन यहां के कई मंदिर सांस्कृतिक विधिवधताओं का अहम हिस्सा है। यहां के हिन्दू मंदिर धार्मिक भक्ति, सद्भावना और कालात्मक उत्कृष्टता के रूप में उभरकर सामने आते हैं। यहां मौजूद हजारों की संख्मंया में मंदिर हैं और हर मंदिर की अगल कहानी और इतिहास है।
मंदिरों की बनी नकाशी, पूर्वजों के अविश्वसनीय कला-कौशल का प्रमाण देते हैं। यहां का प्राचीन इतिहास हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ है। यहां पाल और सेन वंश हिन्दू सासकों का हुआ करता था। जिनके द्वारा बंग्लादेश में कई हिंदू मंदिरों का निर्माण बांग्लादेश में करवाया गया था। ये मंदिर आज भी बंग्लादेश का गौरव बने हुआ हैं और हिन्दुओं की प्रसिद्ध धार्मिक धरोहर के रूप में जाने जाते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही हिन्हू मंदिरों के बारे में...

कांताजी मंदिर: बांग्लादेश के दिनाजपुर शहर से केवल 12 किमी की दूरी पर स्थित यह मंदिर कांताजी या कांतानगर मंदिर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी के अंत में कराया गया था। तब दिनाजपुर के महाराजा प्राणनाथ थे, जिनके संरक्षण में मंदिर बनवाया गया था। कांताजी मंदिर अपने उत्कृष्ट वास्तुशिल्प कला के लिए जानी जाती है। यह मंदिर भगवान कृष्ण और रुक्मिणी को समर्पित है। मंदिर एक-एक दीवार और पिलर पर हिन्दू सभ्यता को चित्रित किया गया है। 1897 में आए भूकंप से मंदिर के शिखर नष्ट हो गए था, लेकिन फिर भी मंदिर में महाभारत और रामायण जैसे हिंदू पुराणों के दृश्य को बयां करने वाले टेरोकोटा कलाएं आज भी अंकित हैं।

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ढाकेश्वरी मंदिर: राजधानी ढाका में ढाकेश्वरी मंदिर स्थित है। इसे बंग्लादेश का राष्ट्रीय मंदिर भी कहा जाता है। इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में सेन वंश के राजा बलाल द्वारा कराया गया था। 1996 में इसे आधिकारिक तौर पर बंग्लादेश का राष्ट्रीय मंदिर धोषित कर दिया गया था। इस मंदिर को हिंदू देवी ढाकेश्वरी को समर्पित किया गया है, इसे देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है।

यशोरेश्वरी काली मंदिर: यह मंदिर सतखीरा जिले में स्थित है, जिसे माता काली के मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर हर साल बड़ी ही उत्साह से काली माता की पूजा की जाती है। 

बता दें कि बांग्लादेश में काफी बड़ी संख्या में मंदिर मौजूद हैं, लेकिन बंग्लादेश के मौजूदा हालात को देखते हुए इनमें से कई मंदिरों की स्थिति चिंतनीय है। कुछ मंदिर की उचित देखभाल और संरक्षण न होने के वजह से वे दयनीय अवस्था में पहुंच गए हैं। तो वहीं समय-समय पर मंदिरों पर हुए अतिक्रमण और हमलों की वजह से भी की यह स्तिथि बनी हुई है। 

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