हल्द्वानी: रेलवे के नक्शे का इंतजार, फिर तुलना के बाद शुरू होगा अतिक्रमित भूमि का सर्वे
हल्द्वानी, अमृत विचार। रेलवे ने हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से सटी अपनी भूमि के सीमांकन के लिए डिजिटल सर्वे पूरा कर लिया है। जिला प्रशासन को रेलवे के नक्शे का इंतजार है, नक्शा मिलने पर तुलनात्मक अध्ययन के बाद अतिक्रमित भूमि पर डोर टू डोर सर्वे शुरू होगा।
रेलवे की हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से सटी लगभग 30 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण है। अतिक्रमण हटाने का यह प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमित भूमि पर वर्षों से रह रहे लोगों के पुनर्वास/विस्थापन को लेकर उत्तराखंड सरकार, केंद्र व रेलवे को मंथन के निर्देश दिए थे। इधर, इसी क्रम में रेलवे ने एक बार फिर से भूमि का सीमांकन सर्वे शुरू किया था। शुरुआती चरण में रेलवे भूमि का डिजिटल सर्वे किया था जो कि पिछले सप्ताह पूरा हो चुका है।
अब अतिक्रमित भूमि में डोर टू डोर सर्वे शुरू होना है लेकिन इससे पूर्व रेलवे अतिक्रमित भूमि का एक नक्शा जिला प्रशासन को मुहैया कराएगा। जिला प्रशासन राजस्व के नक्शों के अधार पर तुलनात्मक अध्ययन करेगा। सूत्रों की मानें तो यह अध्ययन एक दिन में ही पूरा हो जाएगा। इस अध्ययन के बाद रेलवे व जिला प्रशासन संयुक्त रूप से लगभग 30 हेक्टेयर अतिक्रमित भूमि पर फिर से हाउस होल्ड सर्वे करेगा। इस भूमि पर नगर निगम के छह वार्ड आते हैं, इन वार्डों में यह सर्वे होगा।
सर्वे में जल संस्थान, बिजली विभाग, आंगनबाड़ी, राजस्व, खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी-कर्मी भी शामिल होंगे। हर वार्ड के लिए एक-एक टीम गठित कर दी गई है जो कि सर्वे करेगी। इस सर्वे में घरों की संख्या, घरों में रहने वाले लोगों की संख्या, धार्मिक स्थल, व्यवसायिक स्थल आदि का डेटा इकट्ठा किया जाएगा। हालांकि रेलवे का प्रोफार्मा भी इसमें शामिल किया जाएगा।
रेलवे के इज्जत नगर मंडल जनसंपर्क अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि रेलवे ने पिछले सप्ताह डिजिटल सर्वे पूरा कर लिया है। अब नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
आठ सालों में मकानों की संख्या बढ़ने के आसार
रेलवे ने वर्ष 2016 में अतिक्रमित भूमि का सीमांकन व सर्वे किया था। तब उक्त भूमि पर 4,365 मकान चिन्हित किए गए थे। इसको लगभग आठ वर्ष पूरे हो चुके हैं, ऐसे में पूरी आशंका है कि इन मकानों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो गई है। ऐसे में नये सिरे से सर्वे होने पर छह वार्डों में मकानों, धार्मिक, सरकारी एवं व्यवसायिक स्थलों की सटीक संख्या की गिनती हो सकेगी।
सैटेलाइट इमेज से भी लिया जा रहा डेटा
डिजिटल सर्वे के साथ ही अधिकारी बनभूलपुरा की सैटेलाइज इमेज भी निकलवा रहे हैं। इससे पिछले एक दशक में हुए अतिक्रमण, रेलवे की पैमाइश के बाद नए निर्माण वगैरह की स्थिति भी स्पष्ट हो जाएगी। सूत्रों की मानें तो जिला प्रशासन व रेलवे दोनों ही इस दिशा में काम कर रहे हैं।
