नैनीताल: हाईकोर्ट ने वन पंचायतों के संरक्षण पर सरकार से मांगा जवाब, छह सप्ताह में पेश करें शपथपत्र

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Published By Bhupesh Kanaujia
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नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश की वन पंचायतों के संरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और वन विभाग से छह सप्ताह के भीतर शपथपत्र पेश करने का आदेश दिया है। यह आदेश उस जनहित याचिका के संदर्भ में आया है, जिसमें प्रदेश के वनों के विदोहन के खिलाफ अपील की गई थी।

इस मामले की सुनवाई के दौरान कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी। 

याचिका का विवरण

हल्द्वानी निवासी हिसान्त ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि राज्य सरकार ने वन पंचायतों के संरक्षण के लिए वन पंचायत अधिनियम पारित किया था, लेकिन इसके अनुपालन में न तो वन विभाग और न ही राज्य सरकार ने उचित कदम उठाए हैं। इसके परिणामस्वरूप, वर्तमान में वन पंचायतें अपना अस्तित्व खो रही हैं। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि लोग वन पंचायत की भूमि पर अवैध कब्जा कर रहे हैं और बाहरी लोगों को बेच रहे हैं।

याचिका में न्यायालय से प्रार्थना की गई है कि वन पंचायतों को उनके मूल उद्देश्य के अनुसार संरक्षित किया जाए, ताकि उन्हें पेड़ काटने और अन्य सुविधाओं के लिए उपयोग में न लाया जाए। इसके अलावा, याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि पूर्व में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए पर्यावरण संरक्षण के दिशा-निर्देशों का अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाए।

इस महत्वपूर्ण मामले पर न्यायालय की अगली सुनवाई का इंतजार है, जिससे वन पंचायतों की सुरक्षा और उनके अस्तित्व को बनाए रखने में मदद मिल सके।