Kanpur में आयुध कर्मियों से बोले रक्षा मंत्री- 'चिंता न करें भविष्य सुरक्षित है'...और क्या कहा? यहां पढ़ें...

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। आज के तकनीक संचालित परिवर्तन युग में भारत तेजी से नवाचार की ओर बढ़ रहा है। इसमें आईआईटी कानपुर जैसे संस्थानों की अहम भूमिका है। युद्ध के तरीकों में भी तेजी से बदलाव आ रहा है। ड्रोन और साइबर युद्ध इसके उदाहरण है। रक्षा क्षेत्र में बढ़े नवाचार से भारत वर्ष 2029-30 तक 50 हजार करोड़ रुपये तक के रक्षा उत्पादों के निर्यात को छू लेगा। यह बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईआईटी कानपुर के स्थापना दिवस पर कही। 

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने संस्थान फेलो पुरस्कार, विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार, विशिष्ट सेवा पुरस्कार और युवा पूर्व छात्र पुरस्कार वितरित किए। राजनाथ ने कहा कि आधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी जरूरी है। युवा भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की यात्रा का नेतृत्व करें। शिक्षा, उद्योग और सरकार को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकी में दुनिया के लीडरों के बीच अपना स्थान सुरक्षित करें। 

आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि स्थापना दिवस समारोह में हम उत्कृष्टता के भविष्य की ओर देखते हुए अपनी विरासत का सम्मान करते हैं। रक्षा नवाचार कार्यक्रम एसआईआईसी में हमारे स्टार्टअप के अग्रणी काम और तकनीकी नवाचार को आगे बढ़ाने और रक्षा में आत्मनिर्भरता का समर्थन करने की हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। 

23 स्टार्टअप को भी देखा

रक्षा मंत्री ने आईआईटी कानपुर में स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर की ओर से आयोजित रक्षा अनुसंधान, उत्पाद और इनक्यूबेशन शोकेस का दौरा किया। इस शोकेस में 23 एसआईआईसी-इनक्यूबेटेड स्टार्टअप्स के समाधानों को प्रदर्शित किया गया था। जिसमें ऑटोनॉमस सिस्टम्स, एआई- ड्रिवेन सर्वेलन्स और नेक्स्ट-जनरेशन कम्युनिकेशन टूल्स जैसी रक्षा प्रौद्योगिकी में प्रगति प्रस्तुत की गई। 

सीएसजेएमयू के साथ समझौता

स्थापना दिवस समारोह में रक्षा क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण समझौते भी हुए। इनमें सैन्य रसद और रक्षा नवाचार में प्रगति को बढ़ावा देने के लिए बीईएमएल और एचएएल के साथ आईआईटी का सहयोग और इनक्यूबेशन प्रयासों को मजबूत करने के लिए सीएसजेएम विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी शामिल है। 

डीडीआरएण्डी के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर कामत ने छह परिवर्तनकारी डीआरडीओ परियोजनाओं के लिए स्वीकृति पत्र प्रदान किए, जबकि आईडेक्स -वित्त पोषित स्टार्टअप के लिए सिडबी के सहयोग प्रस्ताव ने आवश्यक वित्त पोषण सहायता को और बढ़ावा का आश्वासन दिया। 

‘आयुध कर्मियों से कहा, चिंता न करें भविष्य सुरक्षित है’

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आयुध कर्मचारियों को आश्वस्त किया कि निगमीकरण के बाद भविष्य की चिंता न करें। भविष्य सुरक्षित है, कोई नुकसान नहीं होगा। राजनाथ सिंह ने यूनियन प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए दिल्ली आमंत्रित किया।

भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ का प्रतिनिधिमंडल रक्षामंत्री से ओएफसी निरीक्षण भवन में मिला। मुकेश सिंह राष्ट्रीय महामंत्री ने उन्हें बताया कि कार्पोरेशन होने के बाद से आयुध  कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इसके लिए प्रसार भारती माडल लागू किया जाए। यूपीएस (यूनियन पेंशन स्कीम) पर पुनर्विचार करते हुए ओपीएस लागू की जाए। मृतक आश्रितों की भर्ती तुरंत शुरू की जाए। 

प्रतिनिधिमंडल में  साधू सिंह, इन्द्रजीत सिंह, सुरेश यादव, नन्हें लाल मौर्य, राम कुमार शर्मा,पुनीत चन्द्र गुप्ता, तनवीर अहमद, सुधीर त्रिपाठी, योगेन्द्र सिंह चौहान, अमरेन्द्र मोहन, शिवेंद्र सागर शर्मा, विश्वनाथ यादव, जितेन्द्र सिंह, संतोष मिश्रा,, आशीष सिंह, विकास गर्ग, फिरोज आलम व कानपुर स्थित सभी रक्षा प्रतिष्ठानों के अध्यक्ष मंत्री मौजूद रहे। आल इंडिया डिफेंस इप्लाइज फेडरेशन के संगठन मंत्री सौरभ सिंह और दुर्गा दत्त राठौर ने रक्षामंत्री से कर्मचारियों में नौकरी को लेकर अनिश्चितता के बारे में रक्षामंत्री से वार्ता की।

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