Bareilly: सिर्फ 7 फीसदी फैमिली आईडी, अब कैसे चलेंगी सरकारी योजनाएं?
बरेली, अमृत विचार : राशन कार्डधारकों को छोड़कर उन सभी लोगों के लिए फैमिली आईडी की अनिवार्यता लागू की जा चुकी है जिन्हें किसान सम्मान निधि, विधवा, वृद्धा और दिव्यांग पेंशन जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ लेना है। यह भी आदेश जारी किया जा चुका है कि फैमिली आईडी न होने पर उन्हें योजनाओं से वंचित कर दिया जाएगा। इसके बावजूद जिले में अब तक सिर्फ सात फीसदी लोगों की ही फैमिली आईडी बनी है।
फैमिली आईडी-एक परिवार एक पहचान पत्र योजना सरकार ने पिछले साल लागू की था। इसे राशन कार्ड से वंचित परिवारों के लिए सरकारी योजनाओं में आवेदन करने का विकल्प बनाया जाना था। सिस्टम की लापरवाही के कारण फैमिली आईडी बनाने का काम दयनीय स्थिति में है। लोगों ने बड़ी संख्या में फैमिली आईडी बनवाने के लिए ई- ड्रिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर आवेदन किया है लेकिन ब्लॉक स्तर पर इन आवेदनों को लटका दिया गया है। आवेदन करने वालों की यह भी शिकायत है कि पंजीकरण कराने के बाद भी उनके मोबाइल पर ओटीपी ही नहीं आ रहा है।
यह स्थिति तब है जब ये निर्देश जारी किए जा चुके हैं कि दिसंबर के बाद कई सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हीं को दिया जाएगा जिनके पास फैमिली आईडी होगी। दो दिन पहले मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने भी फैमिली आईडी बनाने की धीमी गति पर नाराजगी जताते हुए दिसंबर तक आंकड़ा 15 फीसदी तक पहुंचाने का निर्देश दिया था।
फैमिली आईडी : ये है सरकार का इरादा
फैमिली आईडी राज्य में रहने वाले सभी परिवारों के लिए एक अनिवार्य पहचान दस्तावेज के रूप में होगी। हर परिवार को एक 12 अंकों का यूनिक नंबर जारी किया जाएगा, जिसमें परिवार का संपूर्ण विवरण मौजूद होगा। राशन कार्ड धारकों के लिए राशन कार्ड नंबर ही फैमिली आईडी के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। आने वाले समय में आईटीआई, पॉलिटेक्निक जैसे शिक्षण संस्थानों में नए प्रवेश के समय भी आधार प्रमाणीकरण के साथ फैमिली आईडी का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाएगा।
हर ब्लॉक में लटके हुए हैं आवेदन
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ब्लॉक मझगवां में 71, भुता में 63, रिछा में 61, बिथरी चैनपुर में 55, फतेहगंज पश्चिमी में 46, रामनगर में 44, फरीदपुर में 30, आलमपुर जाफराबाद में 26, मीरगंज में 26, शेरगढ़ में 25, क्यारा में 17, भदपुरा में 12 और नवाबगंज में दो आवेदन लंबित है। बहेड़ी और भोजीपुरा की स्थिति सबसे खराब है। बहेड़ी के 237 और भोजीपुर के 218 आवेदन भेजे ही नहीं गए हैं। जांच अधिकारी भी दिलचस्पी रूचि नहीं ले रहे हैं। इसलिए फैमिली आईडी बनाने का काम थमा हुआ है।
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