Nainital: बागेश्वर में खनन से घरों में आ रही दरार, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर जिले में स्टीटाइट यानि साबुन बनाने के पत्थर के खनन से इमारतों में आ रही दरारों से संबंधित समाचारों का स्वत: संज्ञान लेते हुए दो अधिवक्ताओं को कोर्ट कमिशनर नियुक्त किया है और उनसे रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है । ऐसी खबरें हैं कि बागेश्वर जिले की कांडा तहसील के कई गांवों में खनन से दरारें आ गयी हैं ।
उच्च न्यायालय के कार्यवाहक न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने सोमवार को ग्रामीणों की समस्या को समझने में अदालत की सहायता के लिए अधिवक्ता मयंक जोशी और शारन्य धूलिया को कोर्ट कमिशनर नियुक्त किया और उन्हें इस संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा । न्यायालय ने बागेश्वर के प्रभागीय वन अधिकारी, राज्य पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण और जिला खनन अधिकारी को पक्षकार बनाते हुए उन्हें मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है ।
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने भी मामले में न्यायालय की सहायता करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी एक रिपोर्ट मंगाई जानी चाहिए कि वहां चल रही सभी खनन गतिविधियों में राज्य पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण के नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं । मैनाली ने कहा कि ग्रामीणों ने बताया है कि अधिकारी उनकी दुर्दशा से बेखबर हैं। उन्होंने कहा कि कांडा तहसील के कांडे—कान्याल गांव में कई मकान खतरे में हैं और उनमें दरारें पैदा हो रही हैं।
इस संबंध में आ रही रिपोर्टों के अनुसार, ग्रामीणों से शिकायत मिलने के बाद खनन अधिकारी, भूगर्भशास्त्री और तहसीलदार ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया था। मकानों में आ रही दरारों और भूधंसाव की समस्या कांडे—कान्याल में पिछले कई साल से परेशानी का सबब बनी हुई है और पिछले मानसून में और बढ़ गयी। उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 26 दिसंबर तय की है।
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