Magh Purnima : अयोध्या में आस्था का महाकुंभ, आठ लाख श्रद्धालुओं ने सरयू में लगाई डुबकी

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Published By Vinay Shukla
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Ayodhya, Amrit Vichar : माघ पूर्णिमा के अवसर में प्रयागराज महाकुंभ के अलावा प्रदेश की धर्मनगरियों के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। रामनगरी अयोध्या में बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त में लाखों श्रद्धालुओं ने स्नान कर हनुमानगढ़ी और राम मंदिर दर्शन किए। दूर-दूर से लोग मां सरयू में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। ग्रंथों में भी माघ पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। ट्रस्ट से मिली एक रिपोर्ट के मुताबिक, माघ पूर्णिमा पर करीब 3.50 लाख से अधिक रामभक्तों ने प्रभु के दर्शन किए है। 

बता देंकि संगमनगरी में भीड़भाड़ के कारण जो लोग महाकुंभ नहीं पा रहे है, वो अयोध्या में राम की पैड़ी पर सरयू में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। अयोध्या पहुंचे श्रद्धालु आशीष सिंह ने बताया कि माघ पूर्णिमा के मौके पर सरयू नदी में स्नान करने आए हुए हैं। बहुत ही अच्छा वातावरण अयोध्या में दिखाई दे रहा है। स्नान करने के बाद हनुमान गढ़ी और राम मंदिर का भी दर्शन पूजन किया है और अब अपने घर वापस जा रहे हैं। वहीं, श्रद्धालु अनीता सिंह ने बताया कि अयोध्या में बहुत कुछ बदल गया है। पहले जब यहां पर आते थे तो घाटों के किनारे बहुत ही अव्यवस्था रहती थी, लेकिन आज बहुत व्यवस्था बन गई है। स्नान करने के बाद एक चेंजिंग रूम में कपड़े बदलने का भी स्थान मिला। राम मंदिर भी बहुत सुंदर बनाया गया है। अभी रामलला का दर्शन करके आए हैं। बता दें कि, माघ पूर्णिमा के मौके पर लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु सरयू में स्नान कर मठ-मंदिरों में दर्शन पूजन कर रहे हैं। नेशनल हाईवे से लेकर सरयू घाट और राम मंदिर तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है। प्रशासन ने इस दौरान पुख्ता इंतजाम किए हैं लेकिन श्रद्धालुओं के भारी भीड़ के आगे प्रशासन के इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। 

3 बजे से शुरू हुआ स्नान
घाट पुरोहित ओमप्रकाश पांडे ने बताया कि सुबह 3:00 से कई लाख श्रद्धालुओं ने आज माघ पूर्णिमा के मौके पर सरयू तट पर आस्था की डुबकी लगाई हैधार्मिक मान्यता है कि माघ महीने में गंगा स्तोत्र का जाप और गंगा स्तुति करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही उस व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वह व्यक्ति जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।

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