लखनऊ: नौकरी के लालच में पहुंचे थे म्यांमार, पांच माह तक बनाये गये बंधक

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Published By Vishal Singh
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बीटेक और एमबीए की पढ़ाई कर चुके युवकों को बनाते थे शिकार

लखनऊ, अमृत विचार: नौकरी का लालच देकर म्यांमार ले जाए गए युवकों को जालसाजों ने बंधक बना लिया। पांच महीने तक उन्हें एक ही मकान में बंधक रखा गया। गिरोह बीटेक और एमबीए करने वाले युवकों को अच्छे वेतन पर नौकरी का लालच देकर जाल में फंसाता था। इसके लिए देश भर में एजेंटों का नेटवर्क फैला रखा है। पुलिस गिरोह के नेटवर्क की जानकारी हासिल कर रही है।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, युवा इंजीनियरों को डिजिटल सेल्स और मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव की नौकरी देने के लिए लालच दिया गया था। जिस पद के लिए नौकरी पर रखा गया, वह पद वहां थे ही नहीं। सभी को अवैध रूप से सीमा पार कराकर म्यांमार ले जाया गया था। विदेश मंत्रालय म्यांमार सहित दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में फर्जी तरीके से नौकरी देने के रैकेट में फंसे लोगों की वापसी के लिए लगातार कार्रवाई कर रहा है।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बनाते हैं शिकार
सूत्रों के मुताबिक युवकों ने पुलिस को बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नौकरी का विज्ञापन निकालते थे। इसी के जरिये युवकों को झांसे में लेते थे। इन विज्ञापनों में जालसाज अपने एजेंटों का नंबर भी देते थे। जिन पर युवक कॉल करते। फिर एजेंट उनके पासपोर्ट, वीजा के लिए रुपये जमा कराते। साथ ही उनके जरूरी दस्तावेज भी जमा करा लेते थे। इसके लिए लखनऊ, बस्ती, आजमगढ़, गोरखपुर, सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली, मऊ, देवरिया, कुशीनगर, हरदोई, अयोध्या में छोटे-छोटे कार्यालय खोल रखा था। वहां दस्तावेज जुटाने के बाद सभी को लखनऊ भेजा जाता था। लखनऊ से एक एजेंट के साथ म्यांमार की फ्लाइट में बैठा दिया जाता था।

जिसकी जैसी योग्यता वैसा उसका वेतन
शुरुआती जांच में सामने आया कि साइबर ठगों ने पीड़ितों को उनकी योग्यता के हिसाब से नौकरी दी थी। पीड़ितों में ग्रेजुएशन, बीटेक, एमटेक और एमबीए पास तक लोग शामिल थे। साइबर ठगों ने सभी से उनके शैक्षिक प्रमाण पत्र लिए थे। उसके बाद उनका वेतन और काम तय किया था। सभी को 30 हजार से 70 हजार रुपये वेतन बताया गया था।

एक ही बिल्डिंग में रखते थे सभी को
पीड़ितों ने पुलिस को बताया कि साइबर ठगों ने उन्हें म्यांमार बार्डर पर किसी बिल्डिंग में रखा था। उक्त बिल्डिंग में ही कॉल सेंटर चल रहा था। एक फ्लोर पर सभी के रूकने का इंतजाम था। वहीं पर सभी से काम कराया जाता था और वहीं पर खाना-पानी दिया जाता था। बंधक बनाए गए लोगों में यूपी समेत अन्य प्रांतों और जिलों के लोग थे।

चाइना में बैठकर सरगना ऑपरेट कर रहा था गैंग
अभी तक की जांच से यह साफ है कि गिराेह का मास्टरमाइंड चाइना में बैठा है। वही अपने चेलों को भारत और अन्य देशों में पीड़ितों की बैंक डिटेल्स समेत अन्य जरूरी जानकारी मुहैया कराते थे। उसके बाद बंधक बने लाेग पीड़ितों को कॉल कर फंसाते और उनके खाते से रकम गायब करते थे। अभी तक देश-विदेश के कितने लोग ठगी का शिकार हुए, ये संख्या बता पाना मुश्किल है। इस जानकारी के बाद साइबर थाना और साइबर सेल के अलावा एजेंसियां सक्रिय हो गयी हैं।

दो दिन में एक बार गन प्वाइंट पर कराते थे परिवार से बात
पीड़ितों ने पुलिस को बताया कि 48 घंटों में सिर्फ एक बार कुछ देर के लिए ही परिवार से बात करने की इजाजत थी। इस दौरान उनके आसपास सशस्त्र सुरक्षाकर्मी खड़े रहते थे। पूरी बातचीत सीसी कैमरे में कैद होती रहती थी। कुछ मिनटों की बात में पीड़ित सिर्फ परिवार की खैरियत और रुपये मिलने के बारे में ही पूछ पाते थे।

यह पीड़ित हैं लखनऊ के निवासी
पुलिस सूत्रों की माने तो साइबर अपराधियों के बंधन से मुक्त होने वाले 21 लोगों में पांच पीड़ित लखनऊ के हैं। इनमें मो. अनस, विपिन यादव, अमन सिंह, सुलतान सलहुदी रब्बानी और तौसीफ हैं। पुलिस उनसे बात कर छोटी से छोटी जानकारी हासिल कर रही है। ताकि अपनी रिपोर्ट में हर बिंदु को शामिल किया जा सके। पीड़ितों ने पुलिस को कुछ मोबाइल नंबर भी सौंपे हैं।

सोने देते थे 4 घंटे, नोचते थे बाल
पीड़ितों ने बताया कि साइबर ठग उन्हें सिर्फ 24 घंटों में सिर्फ 4 घंटे ही सोने देते थे। करीब 18 घंटे तक उनसे काम कराया जाता था। इस दौरान अगर पलक भी झपकती थी तो बाल नोचकर मारते-पीटते थे। स्वदेश लौटे पीड़ितों ने बताया कि म्यांमार में कई देशों के लोगों काे साइबर ठगों ने बंधक बना रखा है। जांच में पता चला कि एंटी हयूमन ट्रैफिकिंग थाने में गैंग के खिलाफ चार मामले दर्ज हैं।

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