Sheetala Ashtami 2025 : शीतला अष्टमी पर क्यों चढ़ता है बासी भोग, जाने पूजा की विधि और मुहूर्त 

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Published By Anjali Singh
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अमृत विचार। साल के चैत्र माह अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का व्रत रखा जायेगा। इस दिन शुभ मुहर्त पर माता की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। माता की पूजा खासकर मालवा, निमाड़, राजस्थान और हरियाणा के कुछ क्षेत्रो में की जाती है। शीतला अष्टमी को बूढ़ा बसौड़ा, बसियौरा नामो से जाना जाता है। इस साल भी अष्टमी का ये पर्व धूमधाम से 22 मार्च को मनाया जायेगा। तो चलिए आज हम जानते है शीतला अष्टमी पूजा का महत्व। 

शीतला अष्टमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 41 मिनट से लेकर 6 बजकर 50 मिनट का होगा। वहीं पंचाग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च की सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर आरम्भ होगा। और 23 मार्च की सुबह 5 बजकर 25 मिनट पर यह मुहूर्त समाप्त होगा। 

शीतला माता को चढ़ता है बासी प्रसाद 

शीतला अष्टमी के दिन देवी माँ को बासी प्रसाद का भोग लगाने की प्रथा है। जिसे एक दिन पहले ही तैयार कर लिया जाता है। ऎसी मान्यताये है कि शीतला माता को ठंडी शीतल चीजे ही पसंद है। जिस वजह से भक्तगण भी उसी बासी भोजन का सेवन करते है। इससे कई प्रकार के रोग संक्रमण दूर हो जाते है। वहीं देवी की पूजा करने से चेचक और खसरा जैसे रोग भी दूर हो जाते है। शीतला माता अपने भक्तो के सभी रोगों को दूर कर देती है। 

शीतला अष्टमी पर भक्तगण माता को कई चीजों का भोग लगाते है। जिससे माता प्रसन्न हो और आशीर्वाद दें। जैसे मीठे चावल, बासी पुआ, चने की दाल, गुड़ की बनी चीजे, हलवा पूड़ी, मिठाई, फल इत्यादि। 

 

डिस्क्लेमर : यह जानकारी धार्मिक मान्यता और लोक कथाओ के आधार पर है। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। अमृत विचार इसकी पुष्टि नहीं करता है। 

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