सरकार जिसे सुधार बता रही है, वह अधिकारों पर प्रहार.... वक्फ अधिनयम पर बोले अभिषेक मनु सिंघवी 

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
On

अमृत विचार। कांग्रेस ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 से जुड़े मामले में कुछ बिंदुओं पर अंतरिम राहत मिलने को लेकर बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय का आभार जताया और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इस अधिनियम के माध्यम से किसी समुदाय नहीं, बल्कि संविधान के मूल पर हमला किया है। 

उच्चतम न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को बृहस्पतिवार को सात दिन का समय दिया। न्यायालय ने साथ ही यह भी कहा कि इस बीच केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं होनी चाहिए। 

कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार जिसे सुधार बता रही है, दरअसल वह अधिकारों पर प्रहार है। वक्फ़ अधिनियम प्रशासनिक कदम नहीं है, यह एक मूल वैचारिक हमला है।’ उन्होंने दावा किया, ‘कानून सुधार की भाषा में यह अधिनियम पूरी तरह से 100 प्रतिशत नियंत्रण की नीति लाने का प्रयास करता है। यह न सिर्फ़ धार्मिक संस्थाओं पर चोट करता है बल्कि अल्पसंख्यकों के आत्मनिर्णय, स्वायत्तता की भावना को कुचलता है। 

यह सत्ता की दखलंदाजी को सुशासन कहकर पेश करता है।’’ सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी चुप नहीं रहेगी और सड़क से लेकर संसद तक इस अधिनियम का विरोध करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ़ अधिनियम एक लक्षित अतिक्रमण है तथा यह अधिनियम प्रशासनिक कार्यकुशलता के नाम पर स्थापित न्यायिक सिद्धांतों को कुचलता है। 

सिंघवी ने संविधान के अनुच्छेद 26 उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हर व्यक्ति को पूरा अधिकार है कि वह अपने धर्म का पालन और उसका प्रचार-प्रसार कर सकता है। वह धर्म से जुड़ी संस्थाओं को चलाने, उनका प्रबंधन देखने और उनके चुनावों में नामित हो सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘कोई यह नहीं कह रहा कि इन अधिकारों की कोई सीमा नहीं है। इसी के तहत संविधान में इसकी सीमा भी लिखी गई है। आप देखेंगे तो इन सीमा का वक्फ़ अधिनियम से कोई संबंध नहीं है।’ 

सिंघवी ने कहा कि अधिनियम में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है जो सार्वजनिक क़ानूनी व्यवस्था को बचाने के लिए किया गया हो, स्वास्थ्य और सार्वजनिक नैतिकता के लिए किया गया हो। उनके अनुसार, अधिनियम के प्रावधान 11 में कहा गया है कि वक्फ बोर्डों में पदाधिकारी सरकार द्वारा चयनित किए जाएंगे, न कि उनका चुनाव होगा। उन्होंने सवाल किया कि यदि राज्य सरकारें सभी लोगों की नियुक्ति करेगी तो संस्था की स्वायत्तता और स्वतंत्रता कैसे सुनिश्चित होगी?

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि वह उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद व्यक्त करते हैं कि उसने संविधान विरोधी कानून के कई प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाई है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि अगली सुनवाई में हमें और राहत मिलेगी। यह किसी समुदाय पर नहीं, बल्कि संविधान के मूल पर हमला किया गया है।


ये भी पढ़े : 'भारत के राष्ट्रपति को निर्देश नहीं दे सकती अदालतें', उपराष्ट्रपति धनखड़ ने न्यायपालिका की भूमिका पर उठाए सवाल

संबंधित समाचार