Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया पर बन रहा गजकेसरी राजयोग, इन वस्तुओं के दान से मिलेगा विशेष लाभ 

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
On

-अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त - प्रात: 5:29 से दिन में 12:04 तक श्रेष्ठ -जल से भरा कलश, पंखा, छाता, गाय, चरण-पादुका स्वर्ण भूमि आदि का दान सर्वश्रेष्ठ

लखनऊ, अमृत विचार। वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 को सांयकाल 5:31 मिनट से शुरु होकर 30 को दोपहर 2:12 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि अनुसार अक्षय तृतीया को 30 को मनायी जाएगी।

ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि अक्षय तृतीया के इस विशेष दिन पर शनि, शुक्र, बुध और राहु ग्रह मीन राशि में स्थित होंगे जिससे मालव्य राजयोग, लक्ष्मी नारायण राज योग और चतुर्ग्रही योग का निर्माण होगा। इसके साथ ही चंद्रमा वृषभ राशि में बृहस्पति के साथ रहेंगे जिससे गजकेसरी राजयोग बन रहा है। सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होंगे इसके साथ ही रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग भी इस दिन बन रहे हैं।

त्रेतायुग की शुरुआत इसी तिथि को हुई थी। इसे युगादि तिथि भी कहते है। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के नर नारायण, हयग्रीव अवतार इसी दिन हुआ था। भगवान ब्रहमा के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन हुआ था। श्री बद्रीनारायण के पट भी इसी दिन खुलते है और वृन्दावन में श्री बिहारी के चरणों का दर्शन वर्ष में इसी दिन होता है।

अक्षय तृतीया में तीर्थो में स्नान, जप, तप, हवन आदि शुभ कार्यो का अनंत फल मिलता है। इस दिन किया गया दान अक्षय यानि की जिसका क्षय न हो माना जाता है। इसदिन जल से भरा कलश, पंखा, छाता, गाय, चरण-पादुका स्वर्ण भूमि आदि का दान सर्वश्रेष्ठ रहता है। मन्दिरों में जल से भरा कलश और खरबूजें चढ़ाया जाता है। इस दिन व्यापारी जन अपने खातों की पूजन भी करते है।

ये भी पढ़े : रामलला के दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी! अब नहीं होगी पार्किंग की दिक्कत, एक साथ 475 वाहन खड़े होंगे पार्क