सैयद सालार मसूद गाजी दरगाह मेला मामला : जिला प्रशासन के फैसले को चुनौती, हाईकोर्ट में दाखिल हुई याचिका

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Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बहराइच की सैयद सालार मसूद गाजी दरगाह में लगने वाले जेठ मेले के लिए अनुमति नहीं देने के जिला प्रशासन के फैसले को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। उत्तर प्रदेश के निवासियों और 'हजरत सैयद सालार मसूद गाजी (रहमतुल्ला अलैह)' के 'उत्साही श्रद्धालुओं' द्वारा अधिवक्ता अकरम आजाद और सैयद फारूक अहमद के माध्यम से दाखिल उक्त जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि मेला मूल रूप से 15 मई से 15 जून तक आयोजित होने वाला था, जो अंतरधार्मिक सद्भाव का एक अनूठा प्रतीक है, जिसमें 60% से अधिक आगंतुक हिंदू हैं।

याचिका में यह भी बताया गया है कि सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा जेठ मेले के लिए अनुमति देने से इनकार करने का निर्णय मनमाना, अन्यायपूर्ण और अवैध है। याचिका में तर्क दिया गया है कि मेले को अचानक रद्द करने से संविधान के अनुच्छेद 25 और 29 के तहत प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार बाधित होते हैं, जिससे भक्तों की भावनाओं और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है। इसके अलावा पहलगाम हमले, संभल हिंसा जैसी घटनाओं को जेठ मेले से जोड़ने या बहराइच में सार्वजनिक सुरक्षा के लिए सीधे खतरे का कारण बताकर उसे रद्द करना वास्तविक सुरक्षा चिंताओं के बजाय राजनीतिक उद्देश्यों से प्रभावित लगता है, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है।

ऐसे में मेले को स्थगित करना सांप्रदायिक सद्भाव की परंपरा और समग्र संस्कृति की जड़ों को कमजोर करता है। अंत में याचिका में सिटी मजिस्ट्रेट, बहराइच द्वारा पारित आदेश को रद्द करने तथा बहराइच के जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार सहित विपक्षियों को यह निर्देश देने की प्रार्थना की गई है कि वे सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्तरीय पुलिस तैनाती सहित पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के साथ जेठ मेला 2025 के संचालन की अनुमति दें, साथ ही विपक्षियों को मेले को रद्द करने के आधार के रूप में 12 पृष्ठों की स्थानीय खुफिया इकाई (एलआईयू) रिपोर्ट का खुलासा करने का निर्देश देने की मांग भी की गई है। 

इसके अलावा धार्मिक और सांस्कृतिक मेलों की अनुमति और प्रबंधन से संबंधित प्रशासनिक निर्णयों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को पारदर्शी दिशा-निर्देश तैयार करने का भी निर्देश दिया जाए और राज्य सरकार को निर्देश देते हुए एक अंतरिम आदेश जारी करें कि वे इस याचिका के अंतिम निपटान तक जेठ मेला 2025 के संगठन के खिलाफ कोई बलपूर्वक या प्रतिबंधात्मक कार्रवाई न करें।

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