Gonda News : पूर्वजों से मिलने मनकापुर पहुंचे फिजी देश के डिप्टी उच्चायुक्त
117 वर्ष बाद पूरी हुई तलाश, कुलदेवी के मंदिर पहुंचकर लिया आशीर्वाद
मनकापुर : अपने पूर्वजों से मिलने की ललक फिजी देश के डिप्टी उच्चायुक्त को मनकापुर खींच लाई। वह मंगलवार को उपाध्यायपुर ग्रंट के मजरे बलुआ जंगल पहुंचे और अपने परिजनों से मुलाकात की। 117 वर्ष बाद पूर्वज मिले तो आंख भर आई। गांव पहुंचते ही डिप्टी उच्चायुक्त ने सबसे पहले वहां की मिट्टी को चूमा और फिर परिवार के साथ कुलदेवी के मंदिर पहुंचकर आशीर्वाद लिया। फिजी देश के रहने वाले नीलेश रोनिल कुमार पिछले सात वर्ष से दिल्ली स्थित एंबेसी में डिप्टी उच्चायुक्त के पद पर तैनात है। नीलेश के मुताबिक भारत में तैनाती के बाद 6 वर्ष पहले उन्हे एक कागज मिला जिस पर उनके पूर्वज सुकई का नाम और पता दर्ज था। इससे उन्हे पता चला कि उनके पूर्वज भारतीय थे। इसके बाद उन्होने अपने पूर्वजों की तलाश शुरू की।
6 महीने पहले मनकापुर के पूर्व ब्लाक प्रमुख आजाद विक्रम सिंह दिल्ली गए थे। वहां इनकी मुलाकात नीलेश से हुई। बातचीत में उन्होने पूर्व प्रमुख से अपने पूर्वजों का जिक्र किया तो प्रमुख ने उन्हे उनके पूर्वजों की तलाश करने में मदद का भरोसा दिलाया। पूर्व ब्लाक प्रमुख बताते हैं कि कागज में जिले का नाम गोंडा व गांव का नाम अगया दर्ज था। इस पर उन्होंने अपने सहयोगी फौजदार पांडेय ,सूरज सिंह व विपुल सिंह को लगाया। इन लोगों ने कागजात में दर्ज दतौली के अगया गांव जाकर छानबीन की तो नीलेश के पूर्वजों का पता चला। गांव के लोगों ने बताया कि 1908 में अंग्रेज अपने साथ यहां के रहने वाले सुकई को अपने साथ लेकर चले गए थे। उस समय सुकई की उम्र महज 17 वर्ष थी। सुकई के जाने के बाद उनके भाई रतन डरकर उस गांव से भाग कर उपाध्यायपुर ग्रंट के मजरे बलुआ जंगल में जाकर छिप गए थे।
बलुआ जंगल में रहने वाले इस गांव के सबसे बुजुर्ग रतन के परपौत्र हरिराम ने इसकी पुष्टि की। जानकारी मिलने पर मंगलवार को डिप्टी उच्चायुक्त नीलेश रोनिल कुमार अपनी पत्नी अंजना रेड्डी व बेटे मयंक तथा प्रणव के साथ बलुआ जंगल पहुंचे और अपने पूर्वजों से मुलाकात की। अपने गांव की मिट्टी को देखकर डिप्टी उच्चायुक्त नीलेश की आंख भर आई। उन्होने सबसे पहले अपनी मिट्टी को चूमा और गांव की कुलदेवी के मंदिर पहुंचकर परिवार के साथ आशिर्वाद लिया। उन्होंने अपने परिवार के लोगों से मुलाकात की और उनका कुशलक्षेम जाना। अपने लोगों से मिलकर नीलेश गदगद नजर आए। उन्होने कहा कि मुझे शुरू से ही जानना था कि मेरे पूर्वज कहां से आये थे। वह परिवार के लोगो से मिलना चाहते थे। आज वह सपना पूरा हो गया। अब वह फिजी लौटकर परिवार के लोगों को बतायेंगे। उन्होने कहा कि सभी लोग अपने गांव आना चाहते है। वापस लौटते समय ग्रामीणों ने उन्हे घी, मक्का आदि भेंट किया।
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