पाकिस्तान के लिए जासूसी प्रकरण: यूट्यूबर ज्योति के ‘UP Mission’ की भी छानबीन कर रहीं जांच एजेंसियां

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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अजय दयाल, लखनऊ, अमृत विचार। पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में दबोची गई यूट्यूबर ज्योति मलहोत्रा के यूपी मिशन की भी छानबीन की जा रही है। ज्योति मेल्होत्रा ने प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी ही नहीं प्रयागराज महाकुंभ, अयोध्या राम मंदिर, मथुरा-वृन्दावन और लखनऊ तक का दौरा कर कई ब्लॉग बनाए हैं। जांच एजेंसियों के सामने सवाल बड़ा यह है कि धार्मिक पर्यटन की आड़ में जासूसी का कोई संगठित नेटवर्क तो यूट्यूबर ज्योति के साथ सक्रिय नहीं?

दरअसल, हरियाणा की रहने वाली ज्योति ने उत्तर प्रदेश के कई धार्मिक पर्यटक स्थलों का दौरा कर यहां के संवेदनशील स्थानों के कई ब्लॉग बनाएं और उन्हें यूट्यूब पर अपने चैनल ‘ट्रवेल विद जो’ पर अपलोड किए हैं। यही कारण है कि अब यूपी पुलिस भी ज्योति की हर पूर्व गतिविधियों का इनपुट ले रही है उसके यूपी में बिताए गए समय का डेटा निकाला जा रहा है। इस कवायद के तहत उसके ठहरने का स्थान, मनी ट्रांजक्शन, मिलने वाले लोग और लोकल जानकारियां देने वालों की टोह ली जा रही है।

ज्योति के चैनल को खंगालने पर मिला कि वह राम मंदिर निर्माण के समय और उसके बाद रामलला प्राण प्रतिष्ठा से पहले भी उसने अयोध्या में मंदिर परिसर का दौरा कर वीडियोज बनाए हैं। इन वीडियोज को उसने 17 जनवरी 2024 और 25 जनवरी 2024 को अपने चैनल पर अपलोड किए। इससे पहले उसने मथुरा-वृन्दावन का भी दौरा कर 22 फरवरी 2023 और 10 सितंबर 2023 को वहां के मंदिरों गली-कूचों, आने-जाने के रास्तों के वीडियोज डाले हैं।

इससे पहले ज्योति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी पहुंची थीं। 19 अक्टूबर 2022 का एक ब्लॉग है जिसमें वह प्रयागराज से वाराणसी पहुंचने का मार्ग, साधन बताने के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में भी बता रहीं हैं। यहां तक कि ज्योति मल्होत्रा प्रयागराज कुंभ में भी पहुंची थी। जिस दिन उसने वीडियो शूट किए वो दिन शाही स्नान का था जिसे उसने 29 जनवरी 2025 को अपलोड किया था। इसे अब तक दो लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं।

पूरे प्रकरण से जुड़ा बड़ा सवाल

कथित जासूसी के इस ताजा प्रकरण से जुड़ा बड़ा सवाल तो यह है कि देश में ज्योति से जैसे हजारों ब्लॉगर है जो अपने ट्रैवेल वीडियोज विविध स्थलों पर शूट करते हैं। इस शूटिंग के दौरान धार्मिक पर्यटन ही नहीं सुरक्षा की नजर से तमाम संवेदनशील स्थान सामने आते हैं। तो क्या उन्हें यूट्यूबर्स को भी सतर्क हो जाना चाहिए? यह सवाल पूर्व सैन्य अधिकारियों से पूछने पर सीधा जवाब मिलता है कि ट्रैवेल वीडियो शूट करना गलत नहीं लेकिन सैन्य सुरक्षा की नजर से संवेदनशील स्थलों की न तो लोकेशन शेयर करनी चाहिए और न ही पिक्चर या वीडियो बनानी चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है और इसकी संवेदनशीलता समझते हुए ही यूट्यूबर्स अपना काम करें तो बेहतर होगा।

दूतावासों में भी अधिकारियों के बीच एजेंट होते हैं। माना जा रहा है कि दानिश भी आईएसआई एजेंट है जो यहां पाक दूतावास में था। ऐसे में ज्योति का उसके संपर्क में होना स्वाभाविक है जांच का विषय है। जांच इस बात की होगी कि उसे भारतीय सैन्य ठिकानों के बारे में कितना पता था और यहां भी वह किसके-किसके संपर्क में रही। दूसरा यह पता लगाना होगा कि कहीं ज्योति को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अपना हैंडलर तो नहीं बना रखा था। ताकि वह भारतीय सैन्य अधिकारियों को हनी ट्रैप कर सके?- अरूण गुप्ता, पूर्व आईपीएस अधिकारी, उप्र.

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