बाराबंकी : खतरे के निशान से महज दो सेमी दूर सरयू नदी का जलस्तर

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Published By Vinay Shukla
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नेपाल ने और छोड़ा पानी तो गांवों का डूबना तय, बाढ़ से निपटने की तैयारी पूरी होने का दावा   

बाराबंकी, अमृत विचार : चेतावनी बिंदु पार कर सरयू नदी खतरे के निशान से महज दो सेंटीमीटर दूरी पर बह रही है। बढ़ने के बाद जलस्तर घटने की बात कही जा रही लेकिन भारी बारिश को देखते हुए इस बार नेपाल से छोड़ा गया पानी नदी में गंभीर हलचल लाएगा, इसमें कोई संदेह नहीं। उधर नदी किनारे बसे तराई वासी दहशत में हैं, नदी के स्वभाव की परख रखने वाले ग्रामीण धीरे धीरे पलायन की तैयारी कर रहे। जबकि नदी से जुड़ी तहसीलों के अफसर सबकुछ सामान्य होने की बात कह रहे हैं।

बताते चलें कि सरयू नदी का खतरे का निशान 106.007 है और नदी का जलस्तर फिलहाल 105.782 पर जाकर ठहर गया है। दावा किया जा रहा कि जलस्तर बढ़ने के बाद घट रहा है लेकिन कटान से इंकार नही। नदी के खतरे के निशान तक पहुंचने में कमी सिर्फ दो सेंटीमीटर की है और नेपाल से बड़ी मात्रा में पानी छोडे़ जाने की दशा में न सिर्फ यह अंतर खत्म हो जाएगा बल्कि गांवों में पानी तेजी से घुसना शुरु भी हो जाएगा। हर साल नदी का स्वभाव यही रहा है। गनीमत यह कि कटान के चलते दायरा बढ़ाती गई नदी में आने वाला पानी काफी हद तक फैल जाता है वरना स्थिति अब तक विकराल हो चुकी होती। कुछ भी हो नदी किनारे बसे तराई वासी दोतरफा मार झेल रहे, जलस्तर स्थिर रहने या घटने से जमीन मकान कटान की आगोश में जा रहे तो जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बना हुआ है।

सरयू का जलस्तर

नदी से जुड़े रामनगर, रामसनेहीघाट, सिरौली गौसपुर के सैकड़ों गांव बाढ़ की दशा में खतरे की चपेट में हैं। ग्रामीण डरे हुए हैं क्योंकि नदी के खतरे का निशान पार करने के बाद उनके पास पलायन के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा। भले ही तीनों तहसीलों के अफसर सारी तैयारियां पूरी होने का दावा करें पर गांवों के डूबने व पलायन की स्थिति से कोई बचा नहीं सकेगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि गांवों को बाढ़ से बचाने के लिए अब तक करोड़ों रुपये फूंके जा चुके पर बचाव के ठोस इंतजाम अब तक नहीं किए जा सके हैं।   

कछारी गांव नदी के निशाने पर, कटान तेज 
रामनगर तहसील क्षेत्र के कछारी गांव में नदी तेजी से कटान कर रही है। जिससे कई घर अब कटान की सीधी जद में हैं। गांव के बुजुर्ग कमलेश ने बताया कि वह 1965 से इस गांव में रहकर नदी का विकराल रूप देखते आ रहे हैं। उनका घर पूरी तरह से नदी में समा गया है और अब उनके पास न रहने की जगह बची है, न कोई सहारा। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अब तक सरकार से कोई कॉलोनी, सहायता या वृद्धा पेंशन नहीं मिली। इंदल कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि नदी अब सीधे उनके घरों के पास तक पहुंच गई है।

उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग की टीम आई थी और थोड़ी राहत सामग्री मंगाई गई, लेकिन हालात पर कोई खास असर नहीं पड़ा। कटान तेज़ हो गई है। राजेंद्र निषाद ने बताया कि टीमें यहां जरूर तैनात हैं और कुछ काम भी कर रही हैं, लेकिन नदी का बहाव इतना तेज है कि प्रयासों से कोई खास फर्क नहीं दिख रहा। वहीं ग्रामीण गोगे ने बताया कि पिछली बाढ़ में गांव का सरकारी विद्यालय भी नदी में समा गया था।

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