पीलीभीत: विकास के नाम पर प्रधान-सचिव ने किया 29 लाख रुपये से अधिक का गबन
पीलीभीत, अमृत विचार। पूरनपुर ब्लॉक की एक ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के नाम पर 29 लाख से अधिक का फर्जीवाड़ा सामने आया है। डीएम द्वारा कराई गई प्रथम दृष्टया जांच में ग्राम प्रधान और सचिव फर्जीवाड़े के दोषी पाए गए हैं। इधर जिला पंचायत राज अधिकारी ने जांच में दोषी पाए गए ग्राम विकास अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 15 दिन के अंदर साक्ष्य सहित स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं। निर्धारित समयावधि में जवाब दाखिल न करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
मामला पूरनपुर ब्लाॅक की ग्राम पंचायत जेठापुर खुर्द का है। गत वर्ष गांव निवासी एक ग्रामीण ने तत्कालीन डीएम को शपथ पत्र सहित की गई शिकायत पर ग्राम प्रधान और सचिव पर ग्राम निधि से कराए गए कार्यों से अधिक धनराशि निकालकर बंदरबांट करने का आरोप लगाते हुए जांच कराने की मांग की थी। तत्कालीन डीएम ने जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी एवं शारदा सागर खंड के सहायक अभियंता राजकुमार को जांच अधिकारी नामित करते हुए जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे। इसी मामले में अन्य ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत पर तत्कालीन डीएम ने जिला विकास अधिकारी और लघु सिंचाई के सहायक अभियंता रोहित भट्ट को जांच अधिकारी नामित करते हुए जांच आख्या उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे।
जांच अधिकारियों ने गांव पहुंचकर सभी बिंदुओं पर जांच करने के बाद रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी। दोनों जांच आख्याओं के परीक्षण में प्रथम दृष्टया ग्राम प्रधान और सचिव को 29,20,951 रुपये गबन का दोषी पाया गया। इधर, जिला पंचायत राज अधिकारी रोहित भारती ने जांच में दोषी पाए गए ग्राम विकास अधिकारी नागेंद्र कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जारी नोटिस में दोषी ग्राम विकास अधिकारी को 15 दिन के अंदर साक्ष्य सहित स्पष्टीकरण न देने पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है।
सड़कों के नाम पर चार लाख से अधिक डकारे
जांच आख्या के मुताबिक ग्राम पंचायत जेठापुरखुर्द में की गई जांच में 29 लाख से अधिक का फर्जीवाड़ा पाया गया है। पाया गया कि प्राथमिक विद्यालय के शौचालय मरम्मत के नाम से कार्ययोजना जारी की गई, मगर उक्त कार्य उच्च प्राथमिक विद्यालय में कराकर 1.14 लाख से अधिक का भुगतान निकाल लिया गया। वहीं ग्राम पंचायत में विभिन्न रास्तों पर मिट्टी कार्य के नाम पर 4.43 लाख से अधिक का भुगतान निकाला गया। इसमें भी जांच के दौरान जिम्मेदार महज 1.56 लाख के बिल बाउचर दिखा सके। शेष धनराशि का कोई लेखा जोखा नहीं मिला। प्राथमिक विद्यालय में हैंडवाश यूनिट के नाम पर 2.58 लाख से अधिक के भुगतान संबंधी कोई पुष्टि नहीं हो सकी। कुल मिलाकर जांच में स्कूलों में कार्यों के नाम पर सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा होना पाया गया।
जिला पंचायत राज अधिकारी रोहित भारती ने बताया कि जिलाधिकारी के द्वारा कराई गई प्रथम दृष्टया जांच में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता पाई गई है। इस मामले में संबंधित ग्राम विकास अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसके बाद ही अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
