यूपी में कितनी सशक्त हैं महिलाएं! Women's Economic Empowerment Index करेगा सशक्तिकरण का मूल्यांकन, सीएम योगी ने बताया ऐतिहासिक कदम

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई एक अहम बैठक में महिला आर्थिक सशक्तिकरण सूचकांक (डब्ल्यूईई इंडेक्स) का प्रदर्शन किया गया। यह सूचकांक योजना विभाग ने उदयती फाउंडेशन के साथ मिलकर तैयार किया है। इसका मुख्य लक्ष्य राज्य की योजनाओं और कार्यक्रमों से महिलाओं को मिलने वाले लाभ का सटीक आकलन करना और सुधार के लिए दिशा-निर्देश तय करना है।

मुख्यमंत्री ने इसे 'उत्तर प्रदेश में नारी सम्मान और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम' करार दिया। इस सूचकांक में उद्यमिता, रोजगार, शिक्षा व कौशल विकास, आजीविका, और सुरक्षा व आवागमन सुविधाओं जैसे पांच प्रमुख क्षेत्रों के आधार पर प्रदेश के सभी 75 जिलों का विश्लेषण किया गया है।

यह सूचकांक स्पष्ट करता है कि किन जिलों में महिलाओं को योजनाओं का लाभ प्रभावी ढंग से मिला है और किन क्षेत्रों में और प्रयासों की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने आदेश दिए कि इस सूचकांक को मुख्यमंत्री नियंत्रण कक्ष के साथ एकीकृत किया जाए और सभी संबंधित विभाग इसे नीति निर्माण और निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में अपनाएं। सभी विभागों को निर्देश दिया गया कि वे इस सूचकांक के आधार पर अपने कार्यक्षेत्र में महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देते हुए ठोस कार्ययोजनाएं तैयार करें। जिलों को भी इस सूचकांक के अनुरूप अपनी रणनीतियां बनानी होंगी ताकि स्थानीय स्तर पर योजनाओं का प्रभाव बढ़ाया जा सके।

प्रस्तुति में यह सामने आया कि कुछ जिलों ने कई योजनाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जबकि कुछ में महिलाओं की भागीदारी अपेक्षाकृत कम रही। मिसाल के तौर पर, लखनऊ, कानपुर नगर और वाराणसी जैसे जिलों में योजनाओं का लाभ महिलाओं तक बेहतर ढंग से पहुंचा है, वहीं श्रावस्ती, संभल, महोबा, बलरामपुर और सिद्धार्थनगर जैसे जिलों में विशेष प्रयासों की जरूरत महसूस की गई।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि ओडीओपी मार्जिन मनी योजना के तहत बांदा, जालौन, जौनपुर, महोबा, श्रावस्ती और सीतापुर सहित सभी जिलों में महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएं। जिन जिलों में अभी तक अपेक्षित लाभ नहीं पहुंचा, वहां विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने यह भी आदेश दिया कि होमगार्ड और शिक्षक भर्तियों में पुलिस भर्ती की तरह महिलाओं को प्राथमिकता दी जाए।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि महिलाओं को न केवल सम्मान मिले, बल्कि उन्हें सुरक्षा बलों और प्रशासनिक ढांचे में भी उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि तकनीकी संस्थानों, कौशल प्रशिक्षण केंद्रों और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष कार्यक्रम शुरू किए जाएं। प्रशिक्षण से बाहर हुई महिलाओं को फिर से जोड़ने के लिए प्रत्येक जिले में 'पुनः नामांकन इकाई' स्थापित की जाए। स्वास्थ्य और सेवा क्षेत्र से जुड़ी शिक्षा में महिलाओं को प्रामेडिकल संस्थानों की उपलब्धता सुनिश्चित करके आगे बढ़ाया जाए। सार्वजनिक परिवहन में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की योजना पर विचार-विमर्श हुआ।

मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि महिलाओं को ड्राइवर और कंडक्टर जैसे कार्यों में अवसर दिए जाएं और इसके लिए प्रशिक्षण केंद्रों में विशेष सुविधाएं और प्रोत्साहन प्रदान किए जाएं। उन्होंने सभी विभागों से अपेक्षा की कि इस सूचकांक को केवल एक दस्तावेज न माना जाए, बल्कि इसे कार्य का आधार बनाकर निर्धारित लक्ष्यों को समयबद्ध तरीके से हासिल किया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की महिलाएं यदि योजनाओं की धुरी बनेंगी, तभी समाज और राज्य का समग्र विकास संभव हो सकेगा।

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