अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर विशेष : यूपी में बाघों की संख्या में इजाफा, दूधवा टाइगर रिजर्व और कतर्नियाघाट वन्यजीव में पेट्रोलिंग ऐप से गश्त और 'बाघ मित्र' की शुरुआत 

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Published By Anjali Singh
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय पशु बाघों की संख्या में निरंतर वृद्धि जारी है। 2018 में हुई गणना में यूपी में जहां 173 बाघ थे, वहीं 2022 में बढ़कर यह संख्या 222 हो गई है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अनुराधा वेमुरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। 2022 में हुई गणना के मुताबिक यूपी में कुल 222 बाघ हैं। उन्होंने बताया कि 2006 में बाघों की गणना में यूपी में 109, 2010 में 118, 2014 में 117, 2018 में 173 व 2022 में 222 पाए गए थे। दूधवा टाइगर रिजर्व में 2014 में 68, 2018 में 82 तथा 2022 की गणना में 135 टाइगर पाए गए। वहीं पीलीभीत टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 63, अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में 20, रानीपुर टाइगर रिजर्व में 4 बाघ हैं। 

एम-स्ट्राइप्स पेट्रोलिंग के अतर्गत जनपद लखीमपुर खीरी के अंतर्गत दूधवा टाइगर रिजर्व, बफर जोन व दूधवा टाइगर रिजर्व प्रभाग में औसतन कुल 152337 किमी. प्रतिमाह तथा बहराइच के अंतर्गत कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में कुल 41684 किमी. प्रतिमाह सघन गश्त की जाती है। एम स्ट्राइप्स पेट्रोलिंग ऐप के माध्यम से दो पहिया, चार पहिया, पैदल, हाथी, साइकिल व नाव के माध्यम से यह गश्त होती है। वहीं हैबीटेट इंप्रूवमेंट, वाटर होल मैनेजमेंट व मानव वन्यजीव संघर्ष को न्यूनतम करने के लिए भी निरंतर अनेक प्रयास हो रहे हैं। रुहेलखंड के मुख्य वन संरक्षक पीपी सिंह ने बताया कि पहले आए दिन मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं होती थीं। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में 2019 में पीलीभीत में 'बाघ मित्र' कार्यक्रम प्रारंभ किया गया था। इसका उद्देश्य अप्रिय घटनाओं पर अंकुश लगाना था। यह कार्यक्रम काफी प्रभावी रहा। इसके बाद अक्टूबर 2023 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीलीभीत में 'बाघ मित्र' ऐप की लॉचिंग भी की। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के प्रभागीय वनाधिकारी मनीष सिंह ने बताया कि पीलीभीत में बाघ मित्रों का व्हाट्सग्रुप बनाया गया है। इसमें आसपास के गांवों के रहने वाले 120 लोग 'बाघ मित्र' के रूप में जुड़े हैं। इसमें चार महिलाएं समेत अन्य युवा, बुजुर्ग भी शामिल हैं। बाघ मित्र के लिए आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। श्री सिंह ने बताया कि जंगल के समीप के पांच किमी. दूर के गांवों के ग्रामीणों को 'बाघ मित्र' बनाकर उन्हें वन विभाग की तरफ से प्रशिक्षण दिया गया। जंगल से बाहर बाघ या अन्य जानवर दिखने पर 'बाघ मित्र' तुरंत ग्रुप में लिखकर और फोन कर विभाग को भी जानकारी देते हैं। 

इससे विभाग के अधिकारी व कर्मचारी तत्काल अलर्ट हो जाते हैं और टीम को रवाना कर देते हैं। इसके जरिए समय रहते टीम एक्शन में आ जाती है। बाघ मित्र ऐप में जानवर की फोटो खींचकर ग्रामीण अपडेट कर सकते हैं। कई बार वे जानवर की सही पहचान नहीं कर पाते थे। इससे दिक्कत होती थी। फोटो अपडेट होने पर विभागीय लोग जानवर को पहचान लेते हैं। इससे लोकेशन भी मिल जाती है कि जंगल से बाघ की दूरी कितनी है। यदि बाघ खेत के पास है तो पहले मॉनीटरिंग टीम भेजते हैं। बाघ मित्र कार्यक्रम निरंतर चलाकर लोगों को सजग, सुरक्षित रखते हैं। 

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