रक्षाबंधन पर जैविक राखी से महकेगी भाइयों की कलाई, CSIR-NBRI ने तैयार की फ्लोरल बायोडिग्रेडेबल की राखियां
लखनऊ, अमृत विचार: इस रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाई महकती राखियों से सजेगी। इन राखियों को सुगंधित सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने फूलों और पौधों से तैयार किया गया है। ये रक्षासूत्र पर्यावरण के मित्र भी साबित होंगे। इनमें न ही प्लास्टिक का प्रयोग किया गया है और न पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली कोई फैब्रिक है। ये पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल है, जो कलाइयों से हटने के बाद स्वत: ही मिट्टी में मिल जाएंगी। वैज्ञानिकों ने इसे ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित कर तैयार कराया है।
सीएसआईआर-एनबीआरआई के निदेशकडॉ. एके. शासनी ने बताया कि सीएसआईआर-एनबीआरआई ने फ्लोरल बायोडिग्रेडेबल राखियों को लांच कर दिया गया है। इन फ्लोरल बायोडिग्रेडेबल राखियों को सदाबहार पुष्प (हेलिक्रिसम), सफेद जललीली (निम्फिया), बारहमासी पुषप( इक्सोरा), गुलाबी, लाल, नारंगी, बैंगनी और सफ़ेद किस्में का फूल (गॉम्फरेना), गुलदाउदी (क्राइसेंथेमम) जैसे सूखे फूलों व अन्य प्राकृतिक तत्वों से विकसित किया गया है। ये राखियां पूरी तरह प्राकृतिक, रंगों और प्लास्टिक से मुक्त हैं। इसमें सूखे फूलों का प्रयोग किया गया है।
इन राखियों की विशेषताएं
-असली सूखे फूलों और प्राकृतिक पौधों से निर्मित
-पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल और पर्यावरण के अनुकूल
-महिलाओं द्वारा हस्तनिर्मित, आजीविका पहल का हिस्सा
-किफायती मूल्य रुपए 50 प्रति राखी
ऐसे खरीद सकते हैं इन राखियों को
फूलों और पौधों से ग्रामीण महिलाओं के हाथों से तैयार इन राखियों को खरीदने के लिए आपको पहले आर्डर बुक करना होगा। बुकिंग के लिए सीएसआईआर-एनबीआरआई के बिक्री अनुभाग पर 0522-2297970 फोन नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।
इस तकनीक का किया प्रयोग
इसे बनाने में डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट्स टेक्नोलॉजी प्राकृतिक फूलों और पौधों की सुंदरता, रंग और बनावट को पर्यावरण अनुकूल तरीके से सुखाकर संरक्षित करती हैं। इस तकनीक के माध्यम से सजावटी वस्तुएं, ग्रीटिंग कार्ड, फ्लोरल राखियां, बुकमार्क, वॉल हैंगिंग्स, रेज़िन उत्पाद जैसे पेपर वेट, फ्लोरल ज्वेलरी आदि बनाए जा सकते हैं।
