हजारों मील का लंबा सफर तय कर पहुंचे रंग-बिरंगे सर्दियों के मेहमान
पीलीभीत टाइगर रिजर्व की हसीन वादियां सिर्फ विदेशी पर्यटकों को ही आकर्षित नहीं कर रहीं, प्रवासी पक्षी भी अब यहां की आबोहवा के दीवाने हो चुके हैं। हजारों मील का लंबा सफर तय कर साइबेरिया, मध्य एशिया और यूरोप में ठंड बढ़ने के साथ यह रंग- बिरंगे मेहमान (शरदकालीन प्रवासी पक्षी) तराई की गोद में बसे पीलीभीत टाइगर रिजर्व समेत आसपास की झीलों, नदियों और दलदली क्षेत्रों में नए बसेरे की तलाश में दस्तक दे चुके हैं। इन प्रवासी पक्षियों में कई ऐसे प्रवासी पक्षी हैं, जिनकी खासियत हर किसी को हैरान कर देने वाली होती है। फिलहाल इन सभी ने अपना ठिकाना बनाने के बाद अब पानी में अठखेलियां और हवा में कलाबाजी कर लोगों में रोमांचित करना शुरू भी कर दिया है --- सुनील यादव, पीलीभीत
ज्वेल ऑफ तराई कहे जाने वाले पीलीभीत टाइगर रिजर्व अपनी विशिष्ट जैव विविधिता के दम पर देश-दुनिया में टूरिज्म आइकॉन बनता जा रहा है। यहां के भारी-भरकम बाघों के बीच कई अन्य दुर्लभ स्तनधारी वन्यजीव भी हैं, जो शेड्यूल वन की श्रेणी में आते हैं। इन सबके बीच पिछले कुछ सालों से मेहमान परिंदों को भी पीलीभीत टाइगर रिजर्व की आबो-हवा रास आने लगी हैं। टाइगर रिजर्व के आंकड़ों के मुताबिक यहां पक्षियों की 350 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। पक्षियों के इस अद्भुत संसार में अब दूर-दराज देशों एवं समेत देश के अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में मेहमान परिंदें भी प्रवास को आने लगे हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक इन प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों में धीरे-धीरे इजाफा भी हो रहा है।

प्रवासी पक्षियों पर लंबे समय से स्टडी करने वाली टरक्वाइज वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसायटी के मुताबिक पीलीभीत टाइगर रिजर्व समेत आसपास क्षेत्र में सात समंदर पार समेत देश के विभिन्न राज्यों से 100 के अधिक प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां प्रवास को आती हैं। यह प्रवासी पक्षी साल भर में दो बार अपनी आमद दर्ज कराते हैं। प्रवासी पक्षियों की यह आमद मानसून से पहले और मानसून के बाद होती है। पिछले माह ग्रीष्मकालीन प्रवासी पक्षियों की विदाई के साथ शरदकाल में रूस, साइबेरिया, अलास्का, सेंट्रल एशिया, लद्दाख आदि से शरदकालीन प्रवासी पक्षियों के झुंड दस्तक दे चुके हैं। तकरीबन चार से पांच माह के प्रवास के बाद यह फरवरी के अंतिम दिनों में वतन वापसी शुरू कर देते हैं।
इसमें बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी शामिल हैं, जो सात समंदर पार कर यहां टाइगर रिजर्व से सटे शारदा सागर डैम समेत अन्य झील-पोखरों में प्रवास कर रहे हैं। जंगल से सटे इलाके में 22 किमी लंबे शारदा सागर डैम में इनकी संख्या हजारों में होती है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में मुख्य रूप से बार हेडेड गूज, ग्रे लेग गूज, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कामन पोचार्ड, टफटेड डक, लैपविंग, चैट, फ्लाईकेचर, कॉमन सैंडपाइपर, मालार्ड, नार्दन पिनटेल आदि प्रमुख शरदकालीन प्रवासी हैं। इसमें वल्चर, ईगल व चैट आदि कुछ दुर्लभ प्रजाति के प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं।
सोसायटी अध्यक्ष अख्तर मियां खान के मुताबिक शरदकालीन प्रवासी पक्षी संबंधित देशों में बर्फवारी और जलजमाव के चलते यहां अनुकूलन के लिए आते हैं। यहां इनको बेहतर हैवीवेट और खासा भोजन भी मिल जाता है। इन प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार पर रोकथाम समेत इनकी सुरक्षा को लेकर टाइगर रिजर्व प्रशासन ने शारदा सागर डैम समेत झीलों और अन्य जलाशयों की निगरानी बढ़ा दी है। सोसायटी के मुताबिक ग्रीष्मकालीन प्रवासी पक्षियों के मुकाबले सर्दी में आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या पीलीभीत टाइगर रिजर्व में ज्यादा होती है। इनमें कुछ प्रवासी पक्षी ऐसे होते हैं, जिनकी खासियत को जानकर एक बारगी हर कोई हैरान रह जाएगा।
प्रवासी चिड़ियों की खासियत
बार हेडेड गूज- यह प्रजाति रूस, कजाकिस्तान, मंगोलिया आदि जगहों से एक लंबा सफर तय करके हिमालय की 27 से 29 हजार फीट तक ऊंची चोटियों के ऊपर से उड़कर भारत में आते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक ये दुनिया के सबसे अधिक ऊंचाई पर उड़ने वाले पक्षी हैं। प्रवास से पहले हेडेड गूज काफी अधिक भोजन करके अपने शरीर में काफी वसा जमा कर लेते हैं, जो इन्हें लंबा सफर तय करने में खासी मदद करता है।
ग्रे लेग गूज- यह प्रवासी पक्षी हिमालय पर तेज बर्फवारी के बाद पीलीभीत टाइगर रिजर्व से सटे शारदा सागर डैम समेत बड़े जलाशयों में देखी जा रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक ग्रे लेग गूज घंटों बिना रुके आसमान में उड़ने की महारथ रखती है। धब्बेदार भूरे व सफेद पंखों, नारंगी चोंच और गुलाबी पैरों वाला यह प्रवासी पक्षी तापमान बढ़ने के साथ ही अपने पारंपरिक प्रवास के रास्ते से वतन वापसी करता है।

कॉमन पोचार्ड - यूरोपीय देशों की स्थाई निवासी कॉमन पोचार्ड के झुंड यहां की झीलों और दलदली क्षेत्रों में बसेरा बना चुके हैं। अपने प्रवास के दौरान ये एक बड़े समूह में उड़ कर आते हैं। प्रवास के दौरान जब इन्हें कोई डर महसूस होता है, तो ये तेजी से पानी पर दौड़कर उड़ान भरते हैं। भोजन की तलाश में यह पानी के अंदर दो मीटर गहराई तक चले जाते हैं।
फ्लाई कैचर - शरीर से लंबी पूंछ और बेहद आर्कषक सा दिखने वाले पैराडाइज फ्लाई कैचर सर्दियों में श्रीलंका, तुर्किस्तान, मलेशिया आदि से यहां आते हैं। टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में दस्तक देने वाले फ्लाई कैचर के शिकार का अंदाज भी कुछ खास है। ये हवा में नीचे की ओर उड़कर छोटे-छोटे कीट पतंगे, मक्खियों, तितलियां आदि कीड़ों का शिकार करते हैं। फ्लाई कैचर की सुंदरता पक्षी प्रेमियों को खासा आकर्षिक करती हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में अभिलेखित पक्षी प्रजातियों में करीब 100 के आसपास प्रवासी पक्षी प्रजातियां हैं। यह संख्या हमें याद दिलाती है कि यह क्षेत्र न केवल बाघों का घर है, बल्कि हमारे पंखों वाले मेहमानों के लिए भी एक अहम ठिकाना है। हमें मिलकर सुनिश्चित करना चाहिए कि ये प्रवासी पक्षी जो दूर-दूर से आते हैं, उन्हें सुरक्षित आवास और शांति मिल सके। ताकि उनकी वार्षिक यात्राएं सदा चलती रहें। - अख्तर मियां खान, अध्यक्ष, टरक्वाइज वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसायटी
पीटीआर में वन एवं वन्यजीव संरक्षण की दिशा में बेहतर प्रयास किए जाने से सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। वन्यजीवों के साथ पक्षी प्रजातियों में भी बढ़ोतरी हुई हैं। इनमें माइग्रेटरी वर्डस भी शामिल हैं, जो हर साल ही बड़ी तादाद में यहां पहुंचती हैं। वन्यजीवों के साथ-साथ इनकी सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम किए गए हैं। माइग्रेटरी वर्डस की मौजूदगी पीटीआर और पर्यावरण दोनों के लिहाज से शुभ संकेत है। - मनीष सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, पीलीभीत टाइगर रिजर्व
