बोध कथा: सफलता का रहस्य

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Published By Anjali Singh
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एक बार की बात है। एक गांव में प्रज्ञा प्रकाश नाम के एक विद्वान महोदय रहते थे। धन-धान्य से संपन्न तो थे ही, लेकिन ज्ञान उनके पास इतना था कि दूर-दूर से लोग अपनी समस्याओं का समाधान करने उनके पास आते थे। अपने अनुभव और ज्ञान से प्रज्ञा प्रकाश लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे। इसलिए सभी उनको गुरुजी कहकर संबोधित करते थे। एक दिन की बात है। 

एक नवयुवक गुरुजी के पास आया और बोला- “गुरुजी मुझे सफलता का रहस्य बताइए, मैं चाहता हूं कि मैं भी आपकी तरह विद्वान बनकर अपनी गरीबी दूर कर सकूं।” गुरुजी मुस्कुराएं और उन्होंने उसे दुसरे दिन प्रातःकाल नदी किनारे मिलने के लिए बुलाया। युवक को भी नहाना था इसलिए वह भी अपने वस्त्र लेकर दुसरे दिन प्रातः काल नदी किनारे पहुंच गया। गुरुजी उस युवक को नदी के गहरे पानी में ले गए, जहां पानी गले के ऊपर निकल गया तो उन्होंने उसे डुबो दिया।

थोड़ी देर युवक छटपटाया फिर उन्होंने उसे छोड़ दिया। युवक हांफता-हांफता नदी से बाहर भागा। जब उसे सुध आई तो बोला- “आप मुझे मारना क्यों चाहते है?” गुरुजी बोले- “नहीं भाई, मैं तो तुम्हे सफलता का रहस्य बता रहा था। अच्छा बताओ? जब मैंने तुम्हारी गर्दन पानी में डुबो दी थी, उस समय तुम्हें सबसे ज्यादा इच्छा किस चीज की हो रही थी?” 

युवक बोला- “सांस लेने की।” गुरुजी बोले- “बस यही सफलता का रहस्य है। जब तुम्हें सफलता के लिए ऐसी ही उत्कंठ इच्छा होगी, तब तुम्हें सफलता मिल जाएगी। इसके अलावा और कोई रहस्य नही है।” शिक्षा- दोस्तों! आप जीवन में किसी भी चीज को पाना चाहते हो, तो उसे आपका बेइंतहा चाहना जरूरी है। मतलब हर समय आपको उसे पाने के बारे में सोचना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है, तो शायद आप उसे देर से पाओ या शायद न भी पाओ।