चीनी उत्पादन में महाराष्ट्र को पीछे छोड़ यूपी बना नंबर वन... हो सकती हैं 2 % की बढ़ोतरी, ISMA ने जारी की रिपोर्ट 

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Published By Anjali Singh
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लखनऊ। गन्ने के रकबे में मामूली गिरावट के बावजूद उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन लगभग स्थिर रहने की संभावना है। भारतीय चीनी मिल संघ के शुरुआती अनुमानों के अनुसार, 2025-26 में राज्य में चीनी उत्पादन में करीब दो प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हो सकती है। अधिकारियों के मुताबिक़ हालांकि यह वृद्धि यूपी को देश का शीर्ष उत्पादक राज्य बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं होगी, क्योंकि महाराष्ट्र में उत्पादन में भारी उछाल का अनुमान लगाया गया है। 

आईएसएमए ने देशभर में चीनी उत्पादन में 18.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया है। रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 39 प्रतिशत तक बढ़ सकता है, जो पिछले साल की तुलना में ज़्यादा है। साल 2024-25 में उत्तर प्रदेश ने 101 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन कर महाराष्ट्र (93.51 एलएमटी) को पीछे छोड़ दिया था। लेकिन मौजूदा सत्र (2025-26) में महाराष्ट्र की चीनी मिलें तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही हैं। 

आईएसएमए का अनुमान है कि महाराष्ट्र का उत्पादन बढ़कर 130 एलएमटी तक पहुंच सकता है, जो मजबूत मानसून, बेहतर जल उपलब्धता और बढ़े हुए रकबे का नतीजा है। उत्तर प्रदेश में गन्ने का रकबा घटकर 23.3 लाख हेक्टेयर से 22.57 लाख हेक्टेयर रह गया है। इसके बावजूद राज्य में उत्पादन लगभग 103 लाख मिटरीटन तक पहुंचने की उम्मीद है। 

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, बेहतर रोग प्रबंधन और उच्च उत्पादकता वाली नई किस्मों के इस्तेमाल से गन्ने की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। राज्य सरकार ने हाल ही में गन्ने का एमएसपी 30 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया है, जिससे किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है। 

सरकार ने चीनी उद्योग को सुदृढ़ करने और गन्ना किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई नई योजनाएं भी शुरू की हैं। गन्ना उद्योग सूत्रों के अनुसार, चालू पेराई सत्र की शुरुआत में पश्चिमी यूपी की दो दर्जन से अधिक मिलें चालू हो चुकी हैं। शुरुआती रिपोर्टों में चीनी रिकवरी दर में भी सुधार देखा गया है। यह 9 प्रतिशत से बढ़कर 9.3 प्रतिशत तक पहुंच गई है। उम्मीद की जा रही है कि पेराई के आगे बढ़ने के साथ यह आंकड़ा और बेहतर होगा। 

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