अयोध्या में हुआ 44वां रामायण मेले का समापन, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हुआ आयोजन 

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
On

अयोध्या, अमृत विचार. सरयू तट स्थित रामकथा पार्क में चल रहे तीन दिवसीय रामायण मेला शुक्रवार को भव्य आयोजनों के बाद समापन हुआ। इस अवसर पर महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ कर कहा कि रामायण मेला अयोध्या की संस्कृति और धार्मिक भावना का प्रतीक है। यह मेला हमें भगवान राम की शिक्षाओं को याद दिलाता है। हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

रामायण मेले के अंतिम दिन में रामलीला का मंचन में रामसेतु निर्माण, राम रावण युद्ध, लंका विजय, भगवान श्रीराम मातासता के साथ पुष्पक विमान से अयोध्या वापसी और श्री राम के राज्याभिषेक का प्रसंग दिखाया गया। इसके बाद प्रवचन सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न संतों और विद्वानों ने रामायण के महत्व और भगवान राम की शिक्षाओं पर अपने विचार रखें।

इसके पूर्व रामायण मेले के दूसरे दिन भी सांस्कृतिक संध्या में भारत खंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ एवं रामायण मेला समिति के बीच हुए एमओयू के तहत कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक राम मोहन महाराज एवं विश्वविद्यालय की एल्युमिनी रेनू शर्मा द्वारा निर्देशित नृत्य नाटिका में श्री राम विवाह का मंचन कथक नृत्य द्वारा, डॉ. कल्पना एस बर्मन द्वारा राम के चरित्र पर आधारित लोक गायन, अग्निहोत्री बंधु द्वारा राम भजन गायन, माता प्रसाद द्वारा अवधि लोक कला पर आधारित फरवाही नृत्य एवं प्रयागराज से आई सोनाली चक्रवर्ती द्वारा राम दरबार नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी गई।

रामायण मेला समिति के संयोजक आशीष मिश्रा ने बताया कि यह मेला 43 वर्षों से लगातार आयोजित किया जा रहा है और इस वर्ष 44वां रामायण मेला आयोजित किया गया है। इस अवसर पर समिति के महामंत्री कमलेश सिंह, डॉ. सुनीता शास्त्री, एसएन सिंह, नंद कुमार मिश्रा, पेड़ा महाराज एवं प्रवचन कर्ता के रूप में रामशरण दास रामायणी, रामकृष्ण दास रामायणी, रामकुमार दास रामायणी, हनुमान दास रामायणी मौजूद रहे।

ये भी पढ़े: 
नववर्ष पर रामनगरी को बड़ी सौगात: अयोध्या बस स्टेशन से शुरू होगा बसों का संचालन, रोजाना रुकेंगी 150 से अधिक बसें

 

संबंधित समाचार