Tirupati Balaji Temple : रहस्यों से भरा है तिरुपति बालाजी मंदिर, जानें क्यों श्रीवेंकटेश्वर स्वामी को एक साथ साड़ी और धोती पहनाई जाती है

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Published By Deepak Mishra
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नई दिल्ली। देश के हर कोने में बने मंदिर खुद में कई रहस्य समेटे हुए हैं, लेकिन तिरुमाला का तिरुपति बालाजी मंदिर अपने आप में अनोखा मंदिर है। यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र तो है ही, लेकिन साथ ही ये मंदिर कई रहस्यों को खुद में छिपाए हुए हैं। आज हम आपको तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े अनसुने रहस्यों के बारे में बताएंगे।

आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में तिरुपति बालाजी मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्रीवेंकटेश्वर स्वामी को समर्पित है। भक्तों का मानना है कि कलयुग में यहीं भगवान का निजी निवास है, इसलिए इस मंदिर में मांगी गई हर मन्नत भगवान पूरी करते हैं।

तिरुपति बालाजी मंदिर का लड्डू प्रसाद के रूप में बहुत प्रसिद्ध है, और लोग दूर-दूर से मंदिर में चढ़ने वाले प्रसाद को ग्रहण करने के लिए आते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लड्डू के अलावा भगवान तिरुपति बालाजी को दही-चावल खिलाने की परंपरा है? सबसे पहले उन्हें दही-चावल का भोग लगता है। दही-चावल का भोग लगाने की प्रथा एक भक्त की भक्ति के बाद से शुरू की गई थी।

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तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल चढ़ाने की परंपरा है। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने कुबेर से ऋण लिया था और वादा किया था कि जब तक कलयुग खत्म होगा, तब तक सारा ऋण चुका दिया जाएगा। उसी ऋण को चुकाने के लिए भक्त मनोकामना पूरी होने पर बालों का दान करते हैं। बाल का दान ऋण की किस्त के तौर पर देखा जाता है। इस प्रथा को लेकर कई किंवदंतियां भी प्रचलित हैं।

तिरुपति बालाजी मंदिर की प्रतिमा बहुत खास है। माना जाता है कि प्रतिमा के पीछे हमेशा समुद्र की लहरों की आवाज आती है। जिन लोगों ने भी प्रतिमा के पीछे कान लगाकर सुना है, उन्हें समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई दी है। इसके अलावा, प्रतिमा को मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का रूप माना जाता है, इसलिए बालाजी को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाने की परंपरा रही है।

तिरुपति बालाजी मंदिर की प्रतिमा पर असली बाल लगे हैं। माना जाता है कि प्रतिमा पर लगे बाल कभी भी उलझते नहीं हैं और हमेशा काले और चमकदार रहते हैं। बालों के अलावा श्री वेंकटेश्वर स्वामी की प्रतिमा को गर्मियों में पसीना आते हुए भी देखा गया है।

तिरुपति बालाजी मंदिर में हमेशा एक दीया जलता रहता है। माना जाता है कि दीए में कोई भी तेल या घी नहीं डालता, लेकिन फिर भी दीया लगातार जलता रहता है। ये दीया सभी के लिए रहस्य बना हुआ था।

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