Moradabad: प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर भी बिगड़े रहे हालात, दिल्ली रोड पर रेड जोन में एक्यूआई
विनोद श्रीवास्तव, मुरादाबाद। 2 दिसंबर की सुबह भले ही आम दिनों की तरह दिखी लेकिन आज का दिन भोपाल गैस त्रासदी के जख्म ताजा करता है। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 2 दिसंबर 1984 की रात भोपाल में एक कीटनाशक फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीली गैस लीक होने से हजारों लोग नींद में ही हमेशा के लिए सो गए थे।
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरूक करना है क्योंकि बढ़ता प्रदूषण लोगों की सेहत को प्रभावित कर रहा है। दो दिसंबर की सुबह मुरादाबाद में वायु प्रदूषण का स्तर चिंता में डालने वाला रहा।
दिल्ली रोड पर मंगलवार की सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक रेड जोन में रहा। मुरादाबाद-दिल्ली हाईवे से सटे ईको हर्बल पार्क क्षेत्र के चौधरपुर में सुबह एक्यूआई 264 पीजीएम (घन प्रति मिलियन) रिकॉर्ड किया गया। जो खतरनाक स्तर की ओर संकेत था। इसके अलावा दिल्ली रोड पर ही बुद्धि विहार में एक्यूआई 114, ट्रांसपोर्ट नगर में 102 और कांशीराम नगर में 147 रहा। जबकि कांठ रोड पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 129 और महानगर के जिगर कॉलोनी में 124 पर रहा।
जबकि 50 से कम या 50 तक का सूचकांक सेहत के लिए उपयुक्त माना जाता है। इससे ऊपर जैसे ही वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, लोगों की सांसों पर संकट बढ़ने लगता है। 200 के ऊपर का सूचकांक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के साइट पर रेड जोन में रिकॉर्ड किया जाता है। प्रदूषण कम करने के लिए नगर निगम की ओर से कराए जा रहे मैकेनिकल रोड क्लीनिंग व वाटर स्प्रिंकलर से पानी के छिड़काव भी बेअसर हो रहा है।
यह होते हैं प्रमुख कारण
- पटाखे फोड़ना
- वाहनों और फैक्ट्रियों से कार्बन उत्सर्जन
- किसी भी प्रकार की गैस यदि लीक होती है तो यह खतरनाक होती है
- बम धमाके
- औद्योगिक इकाइयों में लापरवाही
वायु गुणवत्ता सूचकांक के मानक
0-50 अच्छा
51-100 मध्यम
101-150 अस्वास्थ्यकर संवेदनशील समूहों के लिए
151-200 अस्वस्थ
200-250 हानिकारक
250-300 खतरनाक
300 से ऊपर अत्यधिक खतरनाक
वाहनों का धुंआ भी वायुमंडल में घोल रहा जहर
साल दर साल वाहनों की बढ़ती संख्या भी वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हो रही है। क्योंकि इन वाहनों से निकलने वाला धुआं और सड़कों पर उड़ती धूल लोगों को सांस लेने में तकलीफ देती है। बीते वित्तीय वर्ष में परिवहन कार्यालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक 47,077 दोपहिया व 6884 चार पहिया वाहन पंजीकृत कराए गए। जिसे मिलाकर अब तक विभाग में पंजीकृत वाहनों की संख्या पांच लाख से ऊपर पहुंच चुकी है। विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में कुल पंजीकृत बाइकों की संख्या 4,75,000 और कारें 48,000 हो गई हैं।
हर दूसरे मरीज की प्रदूषण से बढ़ रही दिक्कत
बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा और सांस से संबंधित बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में निरंतर बढ़ रही है। जिला अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन डॉ. प्रदीप वार्ष्णेय ने बताया कि प्रदूषण के कारण सांस लेने में तकलीफ और अस्थमा के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 100 मरीज आते हैं, जिनमें 50 मरीजों की दिक्कतें प्रदूषण के कारण होती हैं।
बताया कि सांस की समस्याओं से जूझ रहे मरीज आईसीयू और सामान्य वार्ड में भर्ती हैं। नौ बेडों के इन वार्ड में से पांच बेड पर सांस के रोगी हैं। इनमें सांस लेने में परेशानी के साथ ही अस्थमा के लक्षण जैसे खांसी, सीने में दर्द और सांस फूलना जैसे गंभीर लक्षण हैं। जिले में औद्योगिक प्रदूषण, धूल के कण, वाहनों से निकलने वाले धुएं और ठंडी हवाओं के मिश्रण से वायु गुणवत्ता काफी खराब हो रही है।
इससे न केवल बच्चों और बुजुर्गों को बल्कि सामान्य स्वास्थ्य वाले लोगों को भी सांस लेने में दिक्कतें हो रही हैं। खासतौर पर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित लोगों के लिए स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है। डॉक्टर ने सलाह दी है कि समय पर सही इलाज और प्रदूषण से बचाव के उपाय जैसे मास्क पहनना, धूल-धुआं वाले इलाकों में कम समय बिताना, घर में सफाई और सुबह-शाम ठंडी हवा से बचाव बहुत जरूरी है।
