Hornbill Festival: पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक विरासत का उत्सव
बीते सोमवार को नागालैंड की 63 वीं वर्षगांठ पर किसामा के नागा हेरिटेज विलेज में हॉर्नबिल फेस्टिवल के 26 वें संस्करण की शानदार शुरुआत हुई। दस दिवसीय आयोजित महोत्सव में नागालैंड की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता, विरासत और कलात्मक परंपराओं के मनाया जाता है। यह फेस्टिवल अब तक के सबसे बड़े इंटरनेशनल पार्टिसिपेशन के साथ शुरू हुआ, जिसमें छह पार्टनर देश- ऑस्ट्रिया, माल्टा, स्विट्जरलैंड, आयरलैंड, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम शामिल थे, साथ ही अरुणाचल प्रदेश स्टेट पार्टनर था।
‘त्योहारों का त्योहार’ (Festival of Festivals) के रूप में प्रसिद्ध, हॉर्नबिल महोत्सव नागालैंड का सबसे बड़ा वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम है। यह प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर से 10 दिसंबर तक आयोजित किया जाता है। यह महोत्सव केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह नागालैंड की समृद्ध जनजातीय विरासत को पुनर्जीवित करने, संरक्षित करने और बढ़ावा देने का एक शक्तिशाली मंच है। यह विविधता में एकता का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस वर्ष महोत्सव में स्थिरता और ‘ईको-फ्रेंडली’ पर्यटन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा जी-20 की सफलता के बाद, भारत सरकार इसे अपनी ‘सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी’ और ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में प्रदर्शित कर रही है, जिसमें कई अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक और पर्यटक भाग ले रहे हैं।
महोत्सव का नामकरण और प्रतीक
इसका नाम ‘ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल’ (Great Indian Hornbill) पक्षी के नाम पर रखा गया है। यद्यपि यह पक्षी अब नागालैंड में कम दिखाई देता है, लेकिन नागा लोककथाओं और गीतों में इसका गहरा महत्व है। इसके पंखों का उपयोग पारंपरिक नागा हेडगियर (टोपी) में प्रतिष्ठा और वीरता के प्रतीक के रूप में किया जाता रहा है।
महोत्सव की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
इसकी शुरुआत वर्ष 2000 में नागालैंड सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने और जनजातियों के बीच मेल-जोल बढ़ाने के लिए की गई थी। 1 दिसंबर 1963 को नागालैंड भारत का 16 वां राज्य बना था, इसलिए हर वर्ष 1-10 दिसंबर तक इसका आयोजन होता है।
