विकसित यूपी @2047: विषयक पर्यटन क्षेत्र की रूपरेखा को लेकर हुई परामर्श बैठक, बोले रंजन कुमार- आयुष चिकित्सकों की ग्रामीण क्षेत्रों में नियुक्ति जरूरी
लखनऊ, अमृत विचार : प्रमुख सचिव आयुष रंजन कुमार ने कहा कि राज्य में समग्र स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाने के लिए आयुष चिकित्सा प्रोटोकॉल का मानकीकरण, नए आयुष चिकित्सकों की ग्रामीण क्षेत्रों में अनिवार्य नियुक्ति तथा आयुष सेवाओं का दूरस्थ क्षेत्रों तक विस्तार अत्यंत आवश्यक है। साथ ही आयुष को चिकित्सा एवं वेलनेस पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करने पर भी विशेष बल दिया।
प्रमुख सचिव आयुष, गुरुवार को योजना भवन में विकसित यूपी @2047 को लेकर तैयार की जा रही रूपरेखा पर चर्चा के लिए परामर्श बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। प्रमुख सचिव योजना आलोक कुमार ने सुझाव दिया कि अयोध्या, वाराणसी, मथुरा जैसे तीर्थ स्थलों पर आध्यात्मिक पर्यटन के साथ वेलनेस पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती को प्रोत्साहित करने और आयुष क्षेत्र में पंजीकृत योग्य चिकित्सा पेशेवरों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया। साथ ही, वर्ष 2047 के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने की आवश्यकता बताई। प्रमुख सचिव पर्यटन, अमृत अभिजात ने मानक गुणवत्ता, प्रमाणन, ब्रांडिंग और प्रशिक्षित थेरेपिस्ट वर्कफोर्स जैसे मुद्दों के समाधान पर बल दिया।
मुख्यमंत्री के सलाहकार एवं पूर्व डीसीजीआई डॉ. जीएन सिंह ने सुझाव दिया कि पीलीभीत और गोरखपुर जैसे क्षेत्रों में दो आयुष घाटियां विकसित की जाएं। क्योंकि लोगों का रुझान तेजी से प्राकृतिक चिकित्सा की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने रोगी सुरक्षा और अधिकारों को सर्वोपरि रखने की आवश्यकता बताई। राज्य रूपांतरण आयोग के सीईओ मनोज कुमार सिंह ने कहा कि आयुष का मानव विकास सूचकांक में योगदान बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, क्योंकि 2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भावी पीढ़ी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। बैठक का की शुरुआत प्रमुख सचिव रंजन कुमार और महानिदेशक आयुष चैत्रा वी. ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
भारत सरकार की आयुष समिति के अध्यक्ष प्रो. बेजन मिश्रा ने सुझाव दिया कि एक 24×7 हेल्पलाइन नंबर की व्यवस्था की जाए और प्रदेश के सभी आयुष चिकित्सकों का एक समेकित रजिस्टर तैयार किया जाए, जिससे सेवाओं की प्रभावशीलता और पारदर्शिता बढ़ सके।
बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों, आयुष विशेषज्ञों और संबंधित हितधारकों ने भी सक्रिय भागीदारी की।
