कानपुर : नींद कम होने से गड़बड़ाता स्ट्रेस हार्मोन, बढ़ती शुगर की संभावना

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

देर रात तक मोबाइल, लैपटॉप व टीवी देखना पड़ रहा लोगों पर भारी

कानपुर, अमृत विचार। लॉकडाउन के बाद से ऑनलाइन वर्क काफी बढ़ गया है। इसके अलावा लोग मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप और टीवी का इस्तेमाल दिन के साथ ही देर रात तक कर रहे हैं, जिसकी वजह से कई लोगों की नींद का चक्र भी गड़बड़ा गया है। पर्याप्त नींद नहीं लेने या कम नींद लेने से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन (जैसे कोर्टिसोल) का स्तर बढ़ जाता है और फिर इंसुलिन ठीक से काम नहीं कर पाता, तब ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से डायबिटीज होने या बिगड़ने का खतरा बढ़ जाता है। यह जानकारी नेशनल टाइप-1 डायबिटीज कार्यक्रम में चेयरमैन डॉ.रिषी शुक्ला ने दी।

सोसाइटी फोर प्रीवेंशन एंड एवेयरनेस ऑफ डायबिटीज के पैट्रोन डॉ.रिषी शुक्ला ने बताया कि पर्याप्त नींद न मिलने पर शरीर कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे स्ट्रेस हार्मोन ज्यादा बनाता है, जो लिवर से ग्लूकोज निकालकर ब्लड शुगर बढ़ाते हैं। नींद की कमी से कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाती हैं, जिससे ग्लूकोज ब्लडस्ट्रीम में ही रुका रहता है। भूख बढ़ाने वाले हार्मोन घ्रेलिन बढ़ता है और पेट भरा होने का संकेत देने वाला हार्मोन लेप्टिन घटता है, जिससे ज्यादा खाने और मीठा खाने की तलब होती है।

वहीं, खराब नींद शरीर में सूजन बढ़ाती है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में और मुश्किल पैदा करती है। वहीं, हार्मोन लिवर से ग्लूकोज छोड़ता है और कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी बनाता है, जिससे मीठा खाने की इच्छा बढ़ती है और मोटापा भी बढ़ सकता है। लखनऊ से आए डॉ.अजय तिवारी ने बताया कि हर व्यक्ति में डायबिटीज अलग-अलग प्रकार की होती है।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ.एसके गौतम ने डायबिटीज के शुरुआती संकेत और लक्षणों की पहचान कर सावधानी बरतने व उपचार की जानकारी दी। लखनऊ से आई डॉ.हेमाली झा ने बेसिक मैनजमेंट डायबिटीज पर वार्ता की। कहा कि टाइप-1 के बच्चों और युवाओं के लिए भी जागरुकता कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। पुणे से आई डॉ.सजली मेहता ने शुगर कंट्रोल करने और उसके फायदों की जानकारी दी। प्रयागराज से आई डॉ.अमातुल फातिमा ने कार्बोहाइट्रेड काउंटिंग पर जानकारी दी। कार्यक्रम में शाम को एक विशेष अवार्ड देश के पीडियाट्रिक्स एंडोक्रेनोलॉजी के जनक डॉ.पीएसएन मेनन को दिया गया। 

टाइप-1 डायबिटीज ग्रस्त लोग समाज दिखा रहे राह 

कार्यक्रम में शामिल टाइप-1 डायबिटीज ग्रस्त लोगों ने अपने जीवनी बताई और उन्हें पता नहीं की वह इस बीमारी की चपेट में कैसे आ गए। वह अब समाज के लोगों को राह दिखाने और काफी सारे बच्चों के शुगर को कंट्रोल में मदद करते हैं। वहीं, कार्यक्रम एक संगोष्ठी हुई, जिसमे बताया गया कि समाज और सोशल मीडिया मैनेज को कैसे एक साथ जोड़ा जा सकता है। इसके बाद शाम को एक विशेष मेटाबॉलिक सिम्पोजियम में बच्चे और युवा बच्चों के बढ़ते वजन और उनकी सेहत को लेकर विचार-विमर्श किया गया। 

कुछ दवाएं भी होती है असरदार 

लखनऊ से आए डॉ.कौसर उस्मान ने बताया कि शरीर के लिए सबसे बड़ी चीज जीवनशैली होती है, जिसके बिना मानव कुछ भी नहीं कर सकता। बिगड़ी जीवनशैली में बदलाव बेहद जरूरी है। लखनऊ से आए डॉ.नरसिंह वर्मा ने बताया कि एसजीएलटी-2 इन्हीबीटर्स ये पिछले कुछ वर्षो से काफी पॉपुलर दवाओं के रुप में प्रचलित हुए है। ये किडनी, हार्ट व लिवर को प्रोटेक्ट करती हैं। पांडुचेरी से आए डॉ.एके दास ने वजन कम करने वाली दवा पर चर्चा की। ब्रिस्टल यूनाइटेड किंगडम से आए डॉ.साइमन हेलर ने लो-ब्लड शुगर पर चर्चा की, बताया कि यह कैसे डायबिटीज के मैनेजमेंट को बहुत दुखद बना देती है। 

यह लोग रहे मुख्य रूप से मौजूद

डॉ.अतुल कपूर, डॉ.अनुराज बाजपेयी, डॉ.एके दास, डॉ.दीपक यागनिक, डॉ.भास्कर गांगुली, डॉ.विभा यादव, डॉ.संगीता शुक्ला, डॉ.सौरभ मिश्रा, डॉ.सुमित गुप्ता, अशोक तनेजा, सीताराम खत्री, प्रवीण सचदेवा, मीना श्रीवास्तव, सुधा श्रीवास्तव, रंजना सक्सेना, इंदु पांडेय, तरविंदर, स्पैड कोर ग्रुप के सदस्य गुलशन चावला, एसके श्रीवास्तव, ओम प्रकाश बदलानी और भोला नाथ समेत आदि लोग रहे।

संबंधित समाचार