UP में 10 लाख लोग टाइप-1 डायबिटीज से ग्रस्त, इंसुलिन के सहारे चल रहा जीवन, सरकार को ध्यान देने की जरूरत
कानपुर, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश में करीब 10 लाख लोग टाइप-1 डायबिटीज से ग्रस्त है, इनके जीवन में हवा, पानी और ऑक्सीजन के साथ ही इंसुलिन की भूमिका काफी अहम है। टाइप-1 डायबिटीज में इंसुलिन जीवन रक्षक का काम करती है, क्योंकि इसमें शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता, इसलिए, बाहर से इंसुलिन लेना जरूरी होता है, जो रक्त शर्करा (ग्लूकोज) को कोशिकाओं में पहुंचाकर ऊर्जा प्रदान करता है और रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने से रोकता है। ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देने की विशेष जरूरत है। यह जानकारी बैंग्लोर से आए डॉ.एस श्रीकांता ने दी।
सीएसजेएमयू में स्थित रानी लक्ष्मीबाई सभागार में शुक्रवार को टाइप-1 डायबिटीज की नेशनल संस्था टीआईयूपी और सोसाइटी फोर प्रीवेंशन एंड एवेयरनेस ऑफ डायबिटीज ने नेशनल टाइप-1 डायबिटीज नामक कार्यक्रम की शुरुआत की। इसमे देशभर के विशेषज्ञ, डायटिशियन, टाइप-1 ग्रस्त लोग व छात्र-छात्राएं शामिल रहे। बैंग्लोर से आए डॉ.एस श्रीकांता ने बताया कि टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। अग्न्याशय इंसुलिन का उत्पादन बंद कर देता है या बहुत कम करता है।
बताया कि यह इंसुलिन एक हार्मोन है, जो भोजन से मिले ग्लूकोज को रक्त से निकालकर कोशिकाओं में ऊर्जा के लिए पहुंचाता है। इंसुलिन के बिना ग्लूकोज रक्तप्रवाह में ही फंस जाता है और कोशिकाओं को ऊर्जा नहीं मिल पाती। इससे रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) का स्तर बहुत बढ़ जाता है और शरीर की कोशिकाएं भूखी रह जाती हैं।
इंसुलिन ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश करने का दरवाजा खोलता है, जिससे कोशिकाएं ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का उपयोग कर पाती हैं। यह रक्त से ग्लूकोज को हटाकर उसे सामान्य स्तर पर बनाए रखने में मदद करता है। बताया कि इसे सिरिंज, पेन या पंप द्वारा लिया जाता है। क्योंकि इंसुलिन के बिना ग्लूकोज कोशिकाओं में नहीं जा पाता और रक्त में जमा होने से स्थिति जानलेवा हो सकती है।
कुल खानपान और जीवनशैली पर निर्भर करती डायबिटीज
डॉ. एस श्रीकांता ने बताया कि एक दिन में 20 ग्राम चीनी खाने से डायबिटीज के खतरे को टाला जा सकता है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हो सकता है। लेकिन यह एक स्वस्थ सीमा (डब्ल्यूएचओ के अनुसार वयस्कों के लिए 30 ग्राम से कम) के करीब है, जो टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है, क्योंकि बहुत अधिक मात्रा में चीनी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। हालांकि, संतुलित आहार, शारीरिक गतिविधि और नियमित ब्लड शुगर मॉनिटरिंग डायबिटीज से बचाव के लिए जरूरी है, क्योंकि डायबिटीज सिर्फ चीनी की मात्रा नहीं, बल्कि कुल खानपान और जीवनशैली पर निर्भर करती है।
