वंदे मातरम् पर राज्य सभा में बहस : विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ने मरोड़ने का लगाया आरोप
नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष ने बुधवार को राष्ट्र गीत वंदे मातरम् गीत के 150 वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित चर्चा के दूसरे दिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर इस बहस के जरिए इतिहास को तोड़ मरोड़ कर राजनीति करने का आरोप लगाया जबकि सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणा के इस गीत को राष्ट्र गीत के रूप में अपनाते समय कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति के चलते इसके कई अंतरों को छोड़ दिया।
दूसरे दिन चर्चा शुरू करते हुए भाजपा के नरहरि अमीन ने कहा कि स्वदेशी और वंदे मातरम् हमारे स्वाधीनता सेनानियों की रणनीति और प्रेरणा के स्रोत थे। कांग्रेस के जयराम रमेश ने वंदे मातरम को छोटा करने में पं. जवाहरलाल नेहरू की भूमिका को लेकर लगाये जाने वाले आक्षेपों को खरिज किया।
उन्होंने 1937 से 1940 के बीच डॉ. राजेंद्र प्रसाद, गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर, आचार्य जे बी कृपलानी और सी राजगोपाला चारी और सुभाषचंद्र बोष जैसे कांग्रेस के तत्कालीन नेताओं के बीच ऋषि बंकिंमचंद्र चटोपाध्याय द्वारा लिखे गये इस गीत पर पत्रों के आदान प्रदान कर जिक्र करते हुए कहा कि 28 अक्टूबर 1937 को कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में कांग्रेस की कार्य समिति ने सर्वसम्मति से इस गीत के दो पदों को अपनाये और गाये जाने के प्रस्ताव को सर्व सम्मति से स्वीकार किया था।
रमेश ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति की उस बैठक में महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोष, सरदार बल्लभ भाई पटेल, पं. नेहरू, गोविंदबल्लभ पंत, मौलाना आजाद और आचार्य कृपलानी जैसे नेताओं की उपस्थिति में वंदेमातरम का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। उन्होंने सत्ता पक्ष पर इस बहस के माध्यम से राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता में बैठे लोग " नेहरू का ही नहीं गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का भी अपमान कर रहे हैं।"
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि जब आप बंकिमचंद्र चटर्जी की बात करते हैं तो उस बंकिमचंद्र को याद करे जो अध्यात्म और विज्ञान में समनवय करता था जिसने 1876 में महेंद्र लाल सरकार के साथ मिल कर कलकत्त में इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टिवेशन ऑफ साइंस नाम की संस्था बनायी भी और इसमें अध्ययन करने वाले सीवी रमण को भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला था।
उन्होंने कहा, ''यह बहस नेहरू को बदनाम करने के प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इसके लिए जो कुछ भी बोला जाता है उसका इतिहास में कोई आधार नहीं है।" भाकपा के संदोष कुमार पी ने भी कहा कि भाजपा पर गांधी और नेहरू का खौफ छाया रहता है और वह वंदे मातरम् के नाम पर लोगों को बांटना चाहती है। बीजू जनता दल के देवाशीष सामंतराय ने आजादी के आंदोलन में इस गीत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वंदे मातरम् और जन गण मन दोनों ही हमारे राष्ट्र गीत और राष्ट्रगान है।
उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास को कोई बदल नहीं सकता। भाजपा की रमिलाबेन विचारभाई बारा ने गुजराती में अपने संभाषण में स्वाधीनता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा और उनकी पत्नी भानुमती की अस्थियों को आधी शताब्दी के बाद 2003 में जिनेवा से गुजरात में लाग कर उनकी इच्छा पूरी किये जाने का उल्लेख किया।
बीजू जनता दल के मानस रंजन मंगराज ने वंदे मातरम् को एकता का गीत बताया। जेएमएम की महुआ माजी ने सत्ता पक्ष पर 1937 में कांग्रेस कार्य समिति के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि सत्ता पक्ष उस समय के महान नेताओं पर आज दोषारोपण कर रहा है। तृणमूल कांग्रेस रीताब्रत बनर्जी ने अपना वक्तव्य बांग्ला में दिया।
