रंग-तरंग: काशी तमिल संगमम
बीते सोमवार 15 दिवसीय प्रसिद्ध काशी तमिल संगमम 4.0 का समापन हुआ। इस वर्ष का संगमम रामेश्वरम में एक विशालसमापन समारोह के साथ खत्म हुआ, जो काशी से तमिलनाडु तक संस्कृति के उद्भव और विकास को सांकेतिक तौर पर पूरा किया गया। संगमम का प्रमुख उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच सांस्कृतिक और सभ्यातागत संपर्क को आगे बढ़ाना था। यह आयोजन उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृति के मिलन का उत्सव है। जब भी काशी और तमिल भाषा के संबंधों की बात होती है, तो एक नाम सबसे प्रमुखता से सामने आता है महर्षि अगस्त्य का।
महर्षि अगस्त्य केवल एक ऋ षि नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा के वह स्तंभ हैं, जिन्होंने उत्तर और दक्षिण को एक सूत्र में पिरोया। ऋ षि अगस्त्य का काशी से गहरा नाता रहा। उन्हें तमिल भाषा का जनक भी माना जाता है। काशी तमिल संगमम 4.0 का यह संस्करण “लेट्स लर्न तमिल -तमिल करकलम” पर आधारित था, जिसमें तमिल भाषा सीखने और भाषा की एकता को संगमम का केंद्र थी। प्रमुख कार्यक्रम में तमिल करकलम (वाराणसी के स्कूलों में तमिल पढ़ाना), तमिल करपोम (काशी क्षेत्र के 300 छात्रों के लिए तमिल सीखने का स्टडी टूर) और ऋ षि अगस्त्य वाहन अभियान (तेनकासी से काशी तक सभ्यतागत मार्ग का पता लगाना) शामिल रहा।
