सरकार का साथ मिला तो उड़ान भरने लगा परिवहन निगम... रोडवेज के बेड़े में ''यंगेस्ट फ्लीट', फाइव स्टार जैसा बस स्टेशन

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Published By Muskan Dixit
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नीरज मिश्र, लखनऊ, अमृत विचार: गंदे दुर्गंधयुक्त बस अड्डे, जीर्ण-शीर्ण बसें और यात्री सुविधाओं के नाम पर टूटी बेंच। जर्जर बसों को लेकर कहावत आम थी कि रोडवेज में ''हार्न छोड़कर सबकुछ बजता है''। लेकिन 2025 आते-आते परिवहन निगम ने इस मिथक को तोड़ दिया। सरकार का साथ मिला तो तकनीकी के साथ कदमताल की और खटारा बसों का बेड़ा अब देश की प्रथम और सबसे ''यंगेस्ट फ्लीट'' बनकर उभरा है। फाइव स्टार होटल की तरह तैयार होते बस स्टेशनों से अब दुर्गंध बीते दिनों की बात हो गई है। पीपीपी पर बस स्टेशनों का निर्माण अटैच्ड ''मॉल'' यात्रियों के लिए जरूरी खरीदारी तक का आसान रास्ता प्रशस्त कर रहे हैं। समय है तो फिल्म का भी आनंद यात्री इन बस स्टेशनों पर ले सकते हैं। बीत रहे साल के यादों के पन्ने पलटे जाएं तो नई स्थितियां काफी हद तक बेहतर नजर आ रही हैं।

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13,914 बसों का विशाल कुनबा

साल 2025 अक्टूबर माह के अंत तक प्रदेश के परिवहन निगम के पास करीब 13,914 बसों का बेड़ा है। इसमें से परिवहन निगम की अपनी फ्लीट 10,890 बसों की है। रोडवेज का अपना इतना बड़ा कुनबा कभी नहीं रहा। इसके अतिरिक्त 3,024 अनुबंधित बसों को इसमें शामिल किया जाए तो कुल बेड़ा बढ़कर 13,914 हो जाता है यानी अब तक का सबसे बड़ा यूपीएसआरटीसी (उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम) का है। इनमें बड़ी संख्या में पवन हंस, ई-बसें, डबलडेकर सरीखी तमाम कैटेगरी की लग्जरी वॉल्वो सेवाएं शामिल हैं।

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देश की 60 प्रतिशत बसें यंगेस्ट फ्लीट का हिस्सा

मुख्य प्रधान प्रबंधक प्राविधिक गौरव पांडेय और प्रधान प्रबंधक सत्यनारायण बताते हैं कि सरकार का साथ लगातार मिल रहा है। यही वजह है कि परिवहन निगम अपने पुराने दौर से बाहर निकल रहा है। आज देश की सबसे यंगेस्ट फ्लीट यूपीएसआरटीसी के पास है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ''कोरोना काल'' के दौर यात्रियों की सेवाभाव का जज्बा देख ''संकट के साथी '' की संज्ञा से नवाजा। सरकार ने यात्री सुविधाओं को बढ़ाने के लिए धन दिया तो रोडवेज का बेड़ा जी उठा। खटारा बसें सिमटने लगीं। साल 22-2023 में रोडवेज प्रशासन ने 250 नई बसें जोड़ी। 23-2024 में 2,000 बसें एकमुश्त बढ़ीं। 24-2025 में तो सरकार का सहयोग पाकर 4,138 बसों का कुनबा तैयार हो गया।

बीएस-थ्री मॉडल की बसें हो जाएंगी बीते दिनों की बात

पूरे बेडे़ में ज्यादातर बसें नए मॉडल की हैं। इस बेड़े में मात्र 1,589 बसें ही यूरो-तीन मॉडल की शेष हैं। ज्यादा दिन नहीं है जैसे ही और बसें आएंगी इन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।

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पर्यावरण का दोस्त बनती ई-बसें

परिवहन निगम इको फ्रेंडली बेड़ा भी अपना परिवार बढ़ा रहा है। 220 ई-बसों की आर्डर भेजा गया। इसमें से करीब 158 बसें आ चुकी हैं। शेष बसें इसी वित्तीय वर्ष में आ जाएंगी।

नौ डिपो देंगे इन ई-बसों को ''करंट फ्यूल''

परिवहन निगम के तकनीकी जिम्मेदार बताते हैं कि यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए इस नए इलेक्ट्रिक कुनबे को करंट फ्यूल की आवश्यकता होती है। गौरव पांडेय बताते हैं कि गाजियाबाद, नोएडा, प्रयागराज, आगरा, मुरादाबाद, अलीगढ़, अयोध्या, गोरखपुर और बाराबंकी में चार्जिंग की व्यवस्था की जा रही है। जनवरी माह के अंत तक ई-फ्यूल मिलने लगेगा। इससे यात्रियों की इको फ्रेंडली यात्रा कराई जा सकेगी।

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दुर्गंध युक्त बस स्टेशन अब बीती बात

-पांच सितारा होटल सरीखे बस स्टेशन, मॉल और पिक्चर हाल भी

-ट्रिपल-पी पर आधारित 23 बस स्टेशन बनने की कतार में

-राजधानी के गोमतीनगर विभूति खंड में काम शुरू

-चारबाग और अमौसी पर भी जल्द प्रारंभ होगा काम

-यात्रियों को यहां मिलेंगी विश्वस्तरीय सुविधाएं

परिवहन निगम के इतिहास से दुर्गंध वाले बस स्टेशन धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। राजधानी का आलमबाग, कैसरबाग बस स्टेशन संचालित है। यहां पर यात्रियों को बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। गिने-चुने जिलों के बस स्टेशन ही यात्री सुविधाओं के लिए जाने जाते थे। लेकिन आगामी डेढ़ वर्षों में 23 विश्वस्तरीय सुविधाओं वाले बस स्टेशन धरातल पर नजर आएंगे। आप उन्हें देखकर सोचने को मजबूर हो जाएंगे कि बस स्टेशन है या पांच सितारा होटल। परिसर से सिस्टेमेटिक प्रणाली से बसों का आवागमन। लखनऊ के अमौसी और विभूति खंड में तैयार होने वाले ये बस स्टेशन पांच सितारा होटल सरीखे लुक में दिखेंगे। नीचे प्लेटफार्म पर बसें होंगी और पृष्ठ में होटल। यहां रुककर लोग न केवल अपने आफीसियल काम लैपटॉप पर निपटा सकेंगे बल्कि बनने वाले फूड कोर्ट के लजीज व्यंजन का स्वाद भी ले सकेंगे। निर्माण एजेंसी ने विभूति खंड गोमतीनगर बस स्टेशन पर काम शुरू कर दिया है। एजेंसी का दावा है कि यह बिल्डिंग ऐसी होगी जो राजधानी समेत प्रदेश में ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी। बिल्कुल पांच सितारा होटल के रूप में यह बस स्टेशन नजर आएगा। पीपीपी मॉडल पर बनने वाले इस पर अत्याधुनिक बस स्टेशन पर करीब 243 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं। इसे अगले साल दिसंबर 2026 तक तैयार किया जाना है। बस स्टेशन निर्माण का काम शुरू हो गया है।

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ये हैं 23 बस स्टेशन जो यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं कराएंगे उपलब्ध

प्रधान प्रबंधक पीपीपी यजुवेंद्र कुमार बताते हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री का फोकस यात्री सुविधाओं को उच्च स्तरीय करने का है। तभी तो राजधानी लखनऊ के अलावा, वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्याधाम समेत प्रदेश में 23 शहरों में बस स्टेशन तैयार किए जाने की प्रक्रिया अंतिम चरणों में है। कुछ में काम शुरू हो गया है तो कुछ प्रक्रियाधीन हैं।

सुविधाएं पर गौर कीजिए

वातानुकूलित कैंटीन, फूड कोर्ट, क्लाक रूम, आधुनिक बुकिंग काउंटर, इंक्वायरी काउंटर, पार्सलघर, स्टॉल, इमरजेंसी मेडिकल एंड फार्मेसी, पोस्ट ऑफिस, पुलिस बूथ, बैंक, एटीएम के काउंटर, सिक्योरिटी कंट्रोल रूम, बेहतरीन उदघोषक यंत्र और ऑनलाइन बुकिंग काउंटर आदि जरूरी सुविधाएं इन बस स्टेशनों पर मिलेंगी।
यजुवेंद्र कुमार, प्रधान प्रबंधक पीपीपी एवं आईटी

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