Bareilly: पंचायतों में महिलाओं के साथ नहीं आएंगे पति...HC के आदेश पर डीएम ने जारी किए निर्देश
बरेली, अमृत विचार। जिला प्रशासन ने पंचायतों में वर्षों से चली आ रही ''महिला प्रतिनिधि के नाम पर पुरुष नियंत्रण'' की खेल प्रणाली पर सीधा प्रहार कर दिया है। जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने जिला पंचायत की अपर मुख्य अधिकारी, सभी खंड विकास अधिकारियों और सहायक विकास अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पंचायतों की बैठकों में महिला निर्वाचित पदाधिकारी, चाहे वह ग्राम प्रधान हों, क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) हों या जिला पंचायत सदस्य, स्वयं ही प्रतिभाग करेंगी, उनके स्थान पर पति या कोई भी पुरुष रिश्तेदार शामिल नहीं रहेगा। महिला प्रतिनिधियों के पति या रिश्तेदारों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक होगी। यह निर्देश उच्च न्यायालय के आदेशों के क्रम में गठित एडवाइजरी कमेटी की संस्तुति पर जारी किए हैं।
हकीकत यह है कि जिले की 1188 ग्राम पंचायतों में 585 महिला प्रधान हैं, 1460 क्षेत्र पंचायत सदस्यों में 569 महिला बीडीसी हैं और जिला पंचायत की 15 सीटों में नौ पर महिलाएं निर्वाचित हैं, इसके बावजूद बैठकों में महिला जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी बेहद कम नजर आती है। गांव की सरकार में महिला प्रधान नाम मात्र की रह गई हैं और वास्तविक सत्ता उनके पतियों या परिवार के पुरुषों के हाथों में सिमटी हुई है। कई पंचायतों में तो हालात इतने गंभीर हैं कि महिला प्रधानों के फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक खातों का संचालन तक किया जाता है। यही नहीं, अनुसूचित जाति और पिछड़ी जाति की महिला प्रधानों वाली पंचायतों में दबंगों का सीधा नियंत्रण बताया जाता है।
इस पूरे खेल की जानकारी होने के बावजूद संबंधित अधिकारी और विभागीय अफसर अब तक आंख मूंदे बैठे रहे। अब जिला प्रशासन ने इस व्यवस्था पर सीधा प्रहार किया है। डीएम ने स्पष्ट कहा कि जिला पंचायत की बैठकों में अध्यक्ष या सदस्य के अलावा कोई अन्य व्यक्ति शामिल नहीं होगा और महिला प्रतिनिधियों के पति या रिश्तेदारों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। प्रत्येक बैठक की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई जाएगी। अधिकारियों को साफ कहा गया है कि निरीक्षण के दौरान केवल निर्वाचित महिला पदाधिकारियों से ही संवाद किया जाए, किसी पुरुष प्रतिनिधि को स्वीकार न किया जाए। डीएम ने चेतावनी दी कि शासनादेश का पालन न होने की स्थिति में इसे न्यायालय के आदेशों की अवमानना माना जाएगा। प्रशासन का दावा है इस सख्ती से न सिर्फ पंचायती राज व्यवस्था की साख लौटेगी, बल्कि महिला सशक्तीकरण कागजों से निकलकर जमीन पर दिखाई देगा।
जिला पंचायत की बैठक में कई बार हो चुका है हंगामा
जिला पंचायत की बैठक में महिला प्रतिनिधियों के रूप में पुरुषों के बैठक में शामिल होने को लेकर कई बार हंगामा हो चुका है। दो साल पहले महिला जिला पंचायत सदस्यों के स्थान पर आने वाले पुरुषों को लेकर बैठक में कई सदस्यों ने हंगामा किया था। इस दौरान कहा गया था कि आगे ऐसा नहीं होगा। मगर यह व्यवस्था दो-तीन बैठकों के बाद ही खत्म हो गई। आलम यह है कि जिला पंचायत की बैठकों में गिनी-चुनी महिला सदस्य ही आती हैं।
