अयोध्या: पड़ोसियों ने किया शव को कंधा देने से मना, तो बेटियां आईं आगे, अर्थी को कंधा देकर पहुंचाया श्मशान

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अयोध्या। बेटियां किसी से कम नहीं हैं। पड़ोसियों ने शव को कंधा देने से मना किया तो महिलाएं खुद आगे आईं। किसी तरह से अंत्येष्टि हुई। वहीं दूसरी घटना में शव को बेटे द्वारा विक्रम से श्मशान घाट ले लाया गया। यह तस्वीरें देख वहां मौजूद लोगों के आंसू निकल पड़े। गुरूवार को रामनगरी अयोध्या …

अयोध्या। बेटियां किसी से कम नहीं हैं। पड़ोसियों ने शव को कंधा देने से मना किया तो महिलाएं खुद आगे आईं। किसी तरह से अंत्येष्टि हुई। वहीं दूसरी घटना में शव को बेटे द्वारा विक्रम से श्मशान घाट ले लाया गया। यह तस्वीरें देख वहां मौजूद लोगों के आंसू निकल पड़े।
गुरूवार को रामनगरी अयोध्या के सरयू तट स्थित श्मशान घाट पर ऐसे मामले सामने आए कि देखने वालों की आंखे नम हो गईं।

मृतक चंद्रभूषण श्रीवास्तव की चार लड़कियां है, लड़के एक भी नहीं है। तोगपुर सहादतगंज की रहने वाले इस परिवार में पिता की मौत हो गई, आसपास का कोई भी व्यक्ति शव उठाने को तैयार नही हुआ। जिसके बाद घर की महिलाओं ने कंधा देकर शव को श्मशान घाट पहुंचाया। इसकी सूचना जब गौ सेवक रितेश दास को मिली तब उसने महापौर ऋषिकेश उपाध्याय से सहयोग लेकर लकड़ी बैंक से निशुल्क लकड़ी की व्यवस्था करायी और किसी तरह अंत्येष्टि हुई।

वहीं दूसरी घटना टेढ़ी बाजार में जाहं मृतक पिता रामलोट पांडेय के बेटे राकेश पांडेय ने लोगों को पिता की मौत की सूचना दी। जब टेढ़ी बाजार के निवासी अगल-बगल कोई भी व्यक्ति इस लड़के के पिता के अंतिम संस्कार में जाने को तैयार नहीं हुए ना ही मदद करने को तो लड़का खुद ही अपने पिता की लाश को विक्रम पर लादकर श्मशान घाट अयोध्या पहुंचा।

श्मशान घाट पर महापौर ऋषिकेश उपाध्याय के द्वारा निशुल्क लकड़ी दी गई और इनके पिता का अंतिम संस्कार करवाया गया। बताया जाता है कि मौत के बाद अगल-बगल के लोगों से भी मदद नही मिली। जब फटिक शिला मंदिर से लेकर श्मशान घाट लाश ले जाना हुआ तो कोई तैयार नहीं हुआ।

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