बरेली: बीमारियों के साथ-साथ संवेदनाओं का भी उपचार करती हैं नर्स

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बरेली, अमृत विचार। नर्सों को इस पेशे से जुड़ी खुशियों के साथ-साथ कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। मरीज को ठीक करने में नर्सों का योगदान अहम होता है। नर्स एक मां, एक बहन के रूप में मरीजों की सेवा करती है। इस रिश्ते को बखूबी निभाने के कारण इन्हें सिस्टर का उपनाम …

बरेली, अमृत विचार। नर्सों को इस पेशे से जुड़ी खुशियों के साथ-साथ कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। मरीज को ठीक करने में नर्सों का योगदान अहम होता है। नर्स एक मां, एक बहन के रूप में मरीजों की सेवा करती है। इस रिश्ते को बखूबी निभाने के कारण इन्हें सिस्टर का उपनाम दिया गया है। नर्स मरीजों के बाहरी जख्म से लेकर उनकी संवेदनाओं पर भी मरहम लगाती हैं।

मरीजों को देख खुद की परेशानी बहुत छोटी लगती है
300 बेड अस्पताल में नर्सिंग ऑफिसर मीनाक्षी सक्सेना बताती हैं कि शुरुआत में जरूर डर लगा था लेकिन जैसे ही मरीजों को परेशान देखा तो उनकी मदद करने से लगातार हौसला बढ़ता ही चला गया जब मैं ड्यूटी करने कोविड वार्ड पहुंचती हूं तो परिवार वाले जरूर चिंतित रहते हैं लेकिन मैं मरीजों को देख अपनी चिंता भूल जाती हूं। मुझे सिर्फ एक ही चीज नजर आती है कि इन मरीजों की तत्परता से देखभाल करनी है। कुल मिलाकर मरीजों के आगे मुझे अपनी परेशानी बहुत छोटी नजर आती है। लगातार ड्यूटी करने के दौरान कई बार मुझे हल्का बुखार भी आया तो मैं उपचार कर दोबारा ड्यूटी पर आ गई।

परिवार और ड्यूटी के बीच बैठाया सामंजस्य
300 बेड अस्पताल में ही नर्सिंग इंचार्ज के पद पर तैनात निशी राव बताती हैं कि कई बार संक्रमितों के परिजन उनका मरीज ठीक होने पर दुआएं देकर जाते हैं। कई बार बुरा-भला भी कहते हैं, सारी भावनाओं को छुपाते हुए ड्यूटी करने पर वास्तविकता में योद्धाओं की संज्ञा दी गई है। पिछली बार की अपेक्षा इस बार का कोरोना ज्यादा खतरनाक है। हर रोज की खबरें सुनकर परिवार वाले चिंतित रहते हैं, लेकिन उनको सांत्वना दे देती हूं। घर वालों को संक्रमण से बचाने के लिए मैंने अपना कमरा अलग रखा है।

किराये पर नही मिला घर, 40 किमी का रोज आना-जाना
जिला अस्पताल में स्टाफ नर्स के तौर पर तैनात पूनम गोयल बताती हैं कि ड्यूटी के दौरान गंभीर व संदिग्ध मरीजों के संपर्क में आने से परिवार का संक्रमित होने का खतरा रहता है। कोरोना में ड्यूटी करने के चलते हमको शहर में किसी ने किराए पर घर नहीं दिया। मजबूरन मुझे 40 किमी रोज स्कूटी से ही आना-जाना करना होता है। बीते दिनों एक्सीडेंट भी हो गया, ठीक होने के तुरंत बाद ही ड्यूटी पर आकर वापस मरीजों की सेवा में लग गई।

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