नहीं रहे एशियन गोल्ड मेडलिस्ट पूर्व मुक्केबाज डिंको सिंह, प्रधानमंत्री ने जताया शोक
नई दिल्ली। एशियन खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और पूर्व भारतीय मुक्केबाज डिंको सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। वह यकृत के कैंसर से लंबे समय से जूझ रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर शोक प्रकट किया है। डिंको सिंह से पहले एशियाई खेलों की मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक 1982 में कौर …
नई दिल्ली। एशियन खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और पूर्व भारतीय मुक्केबाज डिंको सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। वह यकृत के कैंसर से लंबे समय से जूझ रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर शोक प्रकट किया है। डिंको सिंह से पहले एशियाई खेलों की मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक 1982 में कौर सिंह ने जीता था।
Shri Dingko Singh was a sporting superstar, an outstanding boxer who earned several laurels and also contributed to furthering the popularity of boxing. Saddened by his passing away. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 10, 2021
पूर्व भारतीय मुक्केबाज 42 साल के थे और 2017 से कैंसर से जूझ रहे थे। बैंथमवेट (54 किग्रा भार वर्ग) मुक्केबाज कैंसर से पीड़ित होने के अलावा पिछले साल कोविड—19 से भी संक्रमित हो गया था और वह पीलिया से भी पीड़ित रहे थे। उनके परिवार में पत्नी बाबइ नगानगोम तथा एक पुत्र और पुत्री है।
दिलचस्प बात यह है कि उन्हें खेलों के लिये शुरुआती टीम में नहीं चुना गया था और विरोध दर्ज करने के बाद उन्हें टीम में लिया गया था। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा, ‘डिंको सिंह का निधन भारतीय मुक्केबाजी के लिये अपूरणीय क्षति है। वह मुक्केबाजों के लिये प्रेरणास्रोत रहे हैं और उनकी विरासत भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।’
खेल मंत्री ने किया ट्वीट
खेल मंत्री किरन रीजीजू ने ट्वीट किया, ‘मैं श्री डिंको सिंह के निधन से बहुत दुखी हूं। वह भारत के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाजों में से एक थे। डिंको के 1998 बैकाक एशियाई खेलों में जीते गये स्वर्ण पदक ने भारत में मुक्केबाजी क्रांति को जन्म दिया। मैं शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।’
I’m deeply saddened by the demise of Shri Dingko Singh. One of the finest boxers India has ever produced, Dinko's gold medal at 1998 Bangkok Asian Games sparked the Boxing chain reaction in India. I extend my sincere condolences to the bereaved family. RIP Dinko? pic.twitter.com/MCcuMbZOHM
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) June 10, 2021
10 वर्ष की उम्र में जीता पहला खिताब
मणिपुर के इस सुपरस्टार ने 10 वर्ष की उम्र में अपना पहला राष्ट्रीय खिताब (सब जूनियर) जीता था। वह भारतीय मुक्केबाजी के पहले स्टार मुक्केबाज थे जिनके एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक से छह बार की विश्व चैंपियन एम सी मैरीकॉम सहित कई इस खेल से जुड़ने के लिये प्रेरित हुए थे।
निडर मुक्केबाज के रूप में बनाई पहचान
डिंको को एक निडर मुक्केबाज माना जाता था। उन्होंने बैकाक एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक की अपनी राह में दो ओलंपिक पदक विजेताओं थाईलैंड के सोनताया वांगप्राटेस और उज्बेकिस्तान के तैमूर तुलयाकोव को हराया था जो उस समय किसी भारतीय मुक्केबाज के लिये बड़ी उपलब्धि थी।
मैरीकॉम ने जताया दुख
मैरीकॉम ने पीटीआई से कहा, ‘वह रॉकस्टार थे, एक दिग्गज थे, एक योद्धा थे। मुझे याद है कि मैं मणिपुर में उनका मुकाबला देखने के लिये कतार में खड़ी रहती थी। उन्होंने मुझे प्रेरित किया। वह मेरे नायक थे। यह बहुत बड़ी क्षति है। वह बहुत जल्दी चले गये।’
2013 में मिला था “पदमश्री”
डिंको ने 1998 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और उन्हें उसी साल अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। खेलों में उनके योगदान के लिये उन्हें 2013 में पदम श्री से सम्मानित किया गया था। भारतीय नौसेना में काम करने वाले डिंको मुक्केबाजी से संन्यास लेने के बाद कोच बन गये थे। वह भारतीय खेल प्राधिकरण के इम्फाल केंद्र में कोचिंग दिया करते थे लेकिन बीमारी के कारण बाद में अपने घर तक ही सीमित हो गये थे।
दिल्ली में चल रही थी रेडिएशन थेरेपी
उन्हें पिछले साल कैंसर के लिये जरूरी रेडिएशन थेरेपी करने के लिये दिल्ली लाया गया था। पीलिया होने के कारण उनकी थेरेपी नहीं हो पायी थी। उन्हें वापस इंफाल भेज दिया गया लेकिन घर लौटने पर कोविड—19 से संक्रमित हो गये। जिसके कारण उन्हें एक महीना अस्पताल में बिताना पड़ा था।
ओलंपिक की तैयारी में लगे खिलाड़ियों की नम हुई आंखे
ओलंपिक की तैयारियों में लगे खिलाड़ियों की भी आंखे नम हुई। मुक्केबाज विकास कृष्णन ने कहा, ‘हमने एक दिग्गज खो दिया।’ भारत के पहले ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने ट्वीट किया, ‘ इस क्षति पर मेरी हार्दिक संवेदना। उनका जीवन और संघर्ष हमेशा भावी पीढ़ियों के लिये प्रेरणास्रोत रहेगा। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि शोक संतप्त परिवार को दुख और शोक की इस घड़ी से उबरने के लिये शक्ति प्रदान करे।’
