जवानी
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जवानी….इस्मत चुग़ताई
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By Amrit Vichar
जवानी….जब लोहे के चने चब चुके तो ख़ुदा ख़ुदा कर के जवानी बुख़ार की तरह चढ़नी शुरू हुई। रग-रग से बहती आग का दरिया उमँड पड़ा। अल्हड़ चाल, नशे में ग़र्क़, शबाब में मस्त। मगर उसके साथ साथ कुल पाजामे इतने छोटे हो गए कि बालिश्त बालिश्त भर नेफ़ा डालने पर भी अटंगे ही रहे। …
हिन्दी हत्या: टेबल की जगह पहाड़ा और पायजामे में नाड़ा ढूँढते रह जाओगे…
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By Amrit Vichar
चीज़ों में कुछ चीज़ें बातों में कुछ बातें वो होंगी जिन्हे कभी ना देख पाओगे इक्कीसवीं सदी में ढूँढते रह जाओगे बच्चों में बचपन जवानी में यौवन शीशों में दर्पण जीवन में सावन गाँव में अखाड़ा शहर में सिंघाड़ा टेबल की जगह पहाड़ा और पायजामे में नाड़ा ढूँढते रह जाओगे चूड़ी भरी कलाई शादी में …
