बरेली: 900 करोड़ एनपीए होने पर उद्यमियों व बिल्डरों की मुश्किलें बढ़ीं

बरेली: 900 करोड़ एनपीए होने पर उद्यमियों व बिल्डरों की मुश्किलें बढ़ीं

बरेली, अमृत विचार। एक ओर लाखों रुपये का ऋण लेकर उद्यमी और बिल्डर से लेकर तमाम लोग कर्ज जमा नहीं कर रहे हैं वहीं बैंकें भी ऋण के रूप में दी गयी रकम वसूलने में फिसड्डी साबित हो रही हैं। इस वजह से रकम एनपीए हो रही है। तीन माह पहले की बात करें तो …

बरेली, अमृत विचार। एक ओर लाखों रुपये का ऋण लेकर उद्यमी और बिल्डर से लेकर तमाम लोग कर्ज जमा नहीं कर रहे हैं वहीं बैंकें भी ऋण के रूप में दी गयी रकम वसूलने में फिसड्डी साबित हो रही हैं। इस वजह से रकम एनपीए हो रही है। तीन माह पहले की बात करें तो 700 करोड़ रुपये ही कर्ज था जो बैंके वसूल नहीं सकीं। यह रकम 200 करोड़ और बढ़ गयी। कुल 900 करोड़ रुपये एनपीए होने से बैंकों को नुकसान पहुंच रहा है। धनराशि वसूल नहीं होने से बैंकों के अधिकारी भी परेशान हैं। उद्यमी, बिल्डर समेत बड़े बकायेदारों के खिलाफ आरसी काटी गयी लेकिन वसूली अभी तक नहीं हुई। जबकि एनपीए खाताधारकों को नोटिस भी जारी हो चुके हैं।

अब बैंकों ने धनराशि वसूलने के लिए रणनीति बनायी है। जिसमें गारंटरों की जवाबदेही तय की गयी है। उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। बैंकों के अनुसार 900 करोड़ में से 260 करोड़ रुपये बिल्डरों पर फंसा है और 175 करोड़ रुपये उद्यमियों पर है। इनमें अधिकांश वे उद्यमी है जिन्होंने उद्योग स्थापित करने के लिए लोन लिया पर कोरोना की वजह से कारोबार शुरू नहीं कर सके। एनपीए में सबसे अधिक पैसा एसबीआई का फंसा है।

पंजाब नेश्नल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा समेत सभी राष्ट्रीयकृत बैंक अपने ऋ ण की सुरक्षा के लिए कर्ज लेने वाले से गारंटर की मांग करते हैं लेकिन ऋ ण वापस देने में गारंटर बैंक के सामने नहीं आते। ऐसे में न कर्जधारक बैंक को मिलता है न गारंटी देने वाला गारंटर सामने आता है। कई बार तो कर्जदार सरकार से छूट मिलने की आंशका पर भी रकम जमा नहीं करते। ऐसे में बैंकों पर एनपीए (नान परफारमेंस एसेट) का बोझ लगातार बढ़ रहा है। बरेली की बैंकों का कुल एनपीए बढ़कर 900 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुका है। इनमें एसबीआई, पीएनबी, सेंट्रल बैंक जैसे राष्ट्रीयकृत बैंकों शामिल हैं।

नियम में संशोधन के बाद गारंटर को भी कर्जधारक के साथ-साथ नोटिस देने का प्रावधान कर दिया है। बैंक काफी पहले से इस प्रावधान के मुताबिक काम कर रहे हैं। एनपीए होने पर बैंक की ओर से ऋणी के साथ- साथ गारंटर को भी नोटिस भेजा जाता है। एमएम प्रसाद, एलडीएम

जानकार बोले-मृत्यु के बाद भी नहीं खत्म होगी गारंटर की जवाबदेही
बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े जानकार संजीव मेहरोत्रा बताते हैं कि आमतौर पर गारंटर दस्तावेजों पर बिना पढ़े और समझे ही हस्ताक्षर कर देते हैं लेकिन, अब गारंटर बनने के दायित्व जोखिम भरे हैं। गारंटर बनने के बाद व्यक्ति को बैंक के उन सभी नियमों का पालन करना होगा, जिसमें उसने हस्ताक्षर किए। यदि कोई व्यक्ति कर्ज वापस नहीं करेगा तो वसूली गारंटर से होगी। यह गारंटर की सबसे अहम जवाबदेही होगी। कर्जधारक की मौत पर भी गारंटर की जवाबदेही समाप्त नहीं होगी बल्कि इन हालातों में कर्जधारक का खाता फ्रीज कर दिया जाएगा। बैंक ऋणी और गारंटर के खिलाफ एक साथ वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई कर सकता है।

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