यूपी चुनाव : अवध क्षेत्र में हिंदुत्व का मुद्दा असरदार, पिछड़ी जातियों के वोट पर रार
लखनऊ। अयोध्या में जन्मभूमि पर राममंदिर का निमार्ण शुरू होने से इस बार के विधानसभा चुनाव में अवध क्षेत्र की 82 सीटों पर भाजपा के बेहतर प्रदर्शन की संभावना जताई जा रही है। वैसे तो 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करते हुए 70 सीटें जीती थी। यही …
लखनऊ। अयोध्या में जन्मभूमि पर राममंदिर का निमार्ण शुरू होने से इस बार के विधानसभा चुनाव में अवध क्षेत्र की 82 सीटों पर भाजपा के बेहतर प्रदर्शन की संभावना जताई जा रही है। वैसे तो 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करते हुए 70 सीटें जीती थी। यही नहीं, 2019 के लोकसभा में इस क्षेत्र में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा था। क्षेत्र की लखनऊ, मोहनलालगंज, मिश्रिख, सीतापुर, लखीमपुर, धौरहरा, श्रावस्ती, गोंडा, बाराबंकी, कैसरगंज, बहराइच, उन्नाव, रायबरेली, बलरामपुर, हरदोई, फैजाबाद और अंबेडकरनगर की 17 लोकसभा सीटों में से 16 पर भाजपा ने कब्जा जमाकर राजनैतिक विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित किया था।
ऐसे में राममंदिर निर्माण के जरिये हिंदुत्व और योगी सरकार के कामकाज के चलते भाजपा चुनाव में न केवल पिछला प्रदर्शन दोहरा सकती है बल्कि करिशमाई जीत भी दर्ज कर सकती है। इस इलाके में बसपा के पास गंवाने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है जबकि समाजवादी पार्टी पर पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। अवध क्षेत्र की ज्यादातर सीटों पर पासी, राजभर, बाल्मीकि, धोबी और ओबीसी जातियों का प्रभाव है। माना जा रहा है कि जातिवादी राजनीति के मुकाबले यहां रामजन्म भूमि क्षेत्र में भावनात्मक मुद्दा रहेगा। वैसे ओमप्रकाश राजभर के समाजवादी पार्टी के गठबंधन से अवश्य कुछ लाभ मिलने की संभावना है।
सवर्ण मतदाता चुनाव को बनाएगा निर्णायक
अवध क्षेत्र में आने वाले जिलों प्रतापगढ़, जौनपुर , गाजीपुर, फतेहपुर, बलरामपुर, गोंडा आदि राजपूत की आबादी वाले जिले हैं। इन जिलों में राजपूत मतदाता की संख्या 15 से 18 फीसदी के करीब हैं। वहीं, रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, गोंडा, श्रावस्ती, बहराइच आदि जिलों में ब्राह्मण मतदातााओं की संख्या 8 से 12 फीसदी के करीब है। इसके अलावा कायस्थ मतदाताओं की संख्या भी 2 से 4 फीसदी है। जिसकी वजह से माना जा रहा है कि यह वोट चुनाव में निर्णायक साबित होगा। समाजवादी पार्टी ने इस क्षेत्र में 15 सर्वण प्रत्याशी उतारे हैं। वहीं भाजपा ने भी अच्छी तादात में ब्राह्मण प्रत्याशियों पर दांव लगा रही है। ऐसे में सर्वण जातियों के मतों को लेकर दोनों दलों में खूब खींचतान होगी। वहीं ब्राह्मण-दलित गठजोड़ के सहारे बसपा भी दोनों दलों के बीच संभावनाएं तलाश रही है।
पिछड़े वर्ग का समर्थन ही तय करेगी जीत-हार
लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, गोंडा, बहराइच, सीतापुर, हरदोई, श्रावस्ती समेत अवध क्षेत्र की सभी सीटों पर ओबीसी वर्ग के मतदाताओं की संख्या 50 से 55 फीसदी है। भाजपा ने गैर यादव ओबीसी वर्ग को 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों का 80 फीसदी वोट हासिल किया था। वैसे समाजवादी पार्टी 2012 तक 90 फीसदी से ज्यादा यादव मतदाताओं का वोट हासिल करती लेकिन 2017 में यादव मतदाता आंशिक तौर पर भाजपा की तरफ मुड़ने लगे हैं। ऐसे में इस इलाके में भाजपा-सपा के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है।
अल्पसंख्यक मतदाताओं को लेकर सपा-बसपा में जंग
पश्चिम की तरह अवध क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी नहीं है। बावजूद इसके सभी जिलों में मुस्लिम मतदाता का रुझान चुनावी हवा का रूख तय करेगा। वैसे लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर समेत कई जिलों की करीब दो दर्जन सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20 से 25 फीसदी के बीच है। हमेशा से सपा का पारंपरिक वोटबैंक रहे अल्पसंख्यक मतदाताओं पर बसपा की भी नजर है। इसके अलावा ओवैसी और कांग्रेस भी इन मतों में सेंधमारी कर रही है। जिससे अल्पसंख्यक वोट बंटने पर भाजपा को लाभ मिलेगा।
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