जिंदगी तेरे कितने रंग…

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जिंदगी तेरे कितने रंग… तू क्या कर के मानेगी इस दुनिया में कौन कैसा क्या सब दिखा कर मानेगी? सबके चेहरे कितने अच्छे विचार भी लगते हैं सच्चे डूब गए हम उनमें इतना सबको समझा सिर्फ अपना लेकिन जिंदगी तू क्या करके मानेगी क्या सारी सच्चाई मुझे दिखा कर मानेगी? सबने साथ दिया मेरा इतना …

जिंदगी तेरे कितने रंग…
तू क्या कर के मानेगी
इस दुनिया में कौन कैसा
क्या सब दिखा कर मानेगी?

सबके चेहरे कितने अच्छे
विचार भी लगते हैं सच्चे
डूब गए हम उनमें इतना
सबको समझा सिर्फ अपना
लेकिन जिंदगी तू क्या करके मानेगी
क्या सारी सच्चाई मुझे दिखा कर मानेगी?

सबने साथ दिया मेरा इतना
की याद सबकी आती है….पर
मिलने को दिल किसी से न चाहता है
जिंदगी तू क्या करके मानेगी?

मेरे मां-बाप सिर्फ मेरे साथी
जिनसे मांगे हमने घोड़े और हाथी
जिद उन्होंने पूरी की….पर
अब उनके विचार भी बदल के मानेगी…
ऐ जिंदगी तू बता….क्या सबको दूर करके मानेगी?

मुझे लगता है कट नहीं सकेगी
इतनी लंबी उम्र मेरी
क्या तू पूरी ऐसे ही कटवा के मानेगी
जिंदगी तू ही बता क्या करके मानेगी?

वैसा तो सब ठीक है यहां पर
क्या तू सबको ठिकाने पहुंचा के मानेगी?
सब रहे एक साथ हर दम
क्या ऐसा भी कर के मानेगी?

रचनाकार – डी.के सिंह

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