विश्व जल दिवस 2022: वर्षा जल संरक्षण करने वाले परिवारों को पानी के बिल में 10 फीसदी छूट देने की उठी मांग
हल्द्वानी, अमृत विचार। जल ही जीवन है, जल बचाओ भविष्य बचाओ जैसी पंक्तियां अक्सर सुनाई और दीवारों पर लिखी मिल जाती हैं लेकिन इन पंक्तियों में छुपे मर्म को हर कोई नहीं समझ पाता। या यूं कहें कि समझ कर भी नासमझ बन जाता है। यही वजह है कि आज देश -दुनिया में पेयजल की …
हल्द्वानी, अमृत विचार। जल ही जीवन है, जल बचाओ भविष्य बचाओ जैसी पंक्तियां अक्सर सुनाई और दीवारों पर लिखी मिल जाती हैं लेकिन इन पंक्तियों में छुपे मर्म को हर कोई नहीं समझ पाता। या यूं कहें कि समझ कर भी नासमझ बन जाता है। यही वजह है कि आज देश -दुनिया में पेयजल की समस्या लगातार गहराती जा रही है। बात अगर उत्तराखंड की करें तो पहाड़ी जिलों के साथ ही मैदानी जिलों में भी साल भर पेयजल समस्या से जूझते परिवारों को देखा जा सकता है। नदियों के अलावा भूजल पर निर्भर हो चुके लोगों को अब यह चिंता सता रही है कि अगर अब हालात नहीं सुधरे तो भविष्य में स्थिति और भी विकराल रूप ले सकती है। ऐसे में जागरुकता के उद्देश्य से विश्व जल दिवस का महत्व और बढ़ जाता है।

विश्व जल दिवस की पूर्व संध्या पर उच्च शिक्षा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके प्राध्यापक डॉ. सन्तोष मिश्र ने जनसाधारण को जल संरक्षण टैंक बनाने के प्रति जागरूक करते हुए नई सरकार से आग्रह किया कि उत्तराखंड के लगभग सात लाख पेयजल उपभोक्ताओं को अपने घरों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग का इंतजाम करने पर उन्हें पानी के बिल में 10 फीसदी की छूट का प्रस्ताव पहली ही कैबिनेट बैठक में लाए। पांच साल पहले लगभग 25000 लीटर क्षमता का वर्षा जल संरक्षण टैंक बनवा चुके डॉ. संतोष मिश्र लोगों को इस दिशा में लगातार जागरूक करते रहे हैं। जैसे पैसे के लिए कहा जाता है कि आज का निवेश- भविष्य की सुरक्षा, वैसे ही पानी की एक-एक बूंद की बचत और उसका रखरखाव, उसका संरक्षण आने वाली भीषण गर्मी में भी आपके गार्डन को हरियाली से भर देगी।
डॉ. मिश्र का कहना है कि अपने घर का एक कोना जल संरक्षण टैंक बनाने के लिए जरूर निर्धारित करें। गर्मी के दिनों में जब अक्सर ट्यूबवेल दगा दे जाते हैं, ऐसे संकट के समय आपके दैनिक क्रियाकलाप और आपके घर-आंगन को हरा-भरा बनाए रखने के लिए इस जमा पूंजी को निःसंकोच खर्च किया जा सकता है। विश्व जल दिवस 2022 की थीम है – ग्राउंडवाटर : मेकिंग इनविजिबल विजिबल (Groundwater : Making the Invisible Visible)

लोगों को वर्षा जल संरक्षण के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से डॉ. सन्तोष मिश्र की दोनों बेटियों – शिवानी और हिमानी ने अपने घर पर बारिश के पानी को बचाने, टैंक में जल संरक्षित करने तथा गार्डन को हरा भरा रखने की पूरी प्रक्रिया पर एक बेहतरीन यूट्यूब वीडियो भी बनाया है।
बताते चलें कि दुनिया को पानी की जरूरत से अवगत कराने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी। साल 1992 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन एनवायरमेंट एंड डेवलप्मेंट (UNCED) में विश्व जल दिवस को मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके बाद साल 1993 से जल संरक्षण के महत्व को समझने के बारे में सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन को एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में जारी रखा गया है। पहले विश्व जल दिवस का आयोजन 22 मार्च 1993 को हुआ था।
