नेपाल हाउस मार्टिन का सबसे बड़ा परिवार नैनीताल में…

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नैनीताल, अमृत विचार। नैनीताल वन प्रभाग में एक पहाड़ी में बड़ी संख्या में नेपाल मार्टिन हाउस (पक्षी) का परिवार मिला है। नैनीताल के गहलना गांव के पास हजार की संख्या में इन पक्षियों के घोसले मिले हैं। जिन्हें स्थानीय भाषा में गोताई और उर्दू में अबाबील कहा जाता है। दुर्गम रास्तों के बीच बसे पक्षी …

नैनीताल, अमृत विचार। नैनीताल वन प्रभाग में एक पहाड़ी में बड़ी संख्या में नेपाल मार्टिन हाउस (पक्षी) का परिवार मिला है। नैनीताल के गहलना गांव के पास हजार की संख्या में इन पक्षियों के घोसले मिले हैं। जिन्हें स्थानीय भाषा में गोताई और उर्दू में अबाबील कहा जाता है। दुर्गम रास्तों के बीच बसे पक्षी के इस संसार को वन विभाग से इस क्षेत्र को संरक्षित करने की मांग की गई है।

नैनीताल के स्थानीय निवासी दीपक बिष्ट और उनके साथियों ने नेपाल हाउस मार्टिन के परिवारों को खोजा है। शुक्रवार को उन्होंने गौताई पक्षियों के इस स्थान पर आधारित डॉक्यूमेंट्री नैनीताल जू में आयोजित कार्यक्रम में दिखाई। माना जा रहा है कि अभी तक इतनी बड़ी संख्या में किसी पक्षी की कॉलोनी नहीं मिली है।

दुर्गम पहाड़ियों के बीच बसे इस स्थान पर 900 से 1000 की संख्या में घोसले हैं। पद्म श्री अनूप शाह कहते हैं कि इतना रमणीय स्थल आज से पहले कभी नहीं देखा है। बताया कि इसका भोजन कीट पतंगे हैं, जिन्हें यह पक्षी हवा में उड़ते हुए ही पकड़ लेती है। इसकी लंबाई लगभग साढ़े सात इंच तक होती है। इसके माथे पर लाल रंग, गले पर नीली और लाल पट्टी तथा ऊपरी भाग नीले रंग का होता है।
खास बात यह है कि यह जमीन पर नहीं बैठती और अधिकांश समय या तो उड़ती रहती है या फिर पेड़ों और बिजली के तारों में बैठी नजर आती है।

बता दें कि नैनीताल डिवीजन के जंगलों में कई पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। जिसके चलते दुनिया भर से प्रतिवर्ष हजारों वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर यहां पहुंचते हैं। बर्ड वॉचर हिमांशु जोशी ने बताया की अभी तक इतनी बड़ी संख्या में उन्होंने किसी पक्षी की कॉलोनी को नहीं देखा है।

नैनीताल वन प्रभाग के डीएफओ टीआर बीजूलाल ने बताया कि एक ही स्थान में हजारों की संख्या में पक्षियों के परिवार का मिलना बहुत खुशी की बात है। बताया कि पक्षियों की सुरक्षा व क्षेत्र में बाघ व हाथी की आवाजाही के चलते जगह को संरक्षित करने की मांग की जा रही है। डॉक्यूमेंट्री बनाने में सुनील बोरा, दीपक आर्य का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में आरओ ममता चंद, रजनी रावत, नवीन पांडे मौजूद रहे।

गांव वाले मानते हैं बिझाई देवता के पक्षी
ग्राम प्रधान सुभाष चंद्र ने बताया कि ऐसी धार्मिक मान्यता है कि ये बिझाई देवता के पक्षी हैं। इसलिए गांव वाले इस क्षेत्र में नहीं आते हैं। ये पक्षी झुंड में कभी ओम तो कभी सांप की आकृति बनाते हैं।