मुरादाबाद की सायरा बानो बुनेंगी पहाड़ी ब्रह्मकमल टोपी, दिल्ली के कारोबारी ने 6 लाख टोपी का दिया आर्डर
आशुतोष मिश्र/ मुरादाबाद। मुरादाबाद की सायरा बानो ब्रह्मकमल टोपी बुनेंगी। यह टोपी उत्तराखंड की पहचान है, जिसके आगले हिस्से में राजकीय फूल (ब्रह्मकमल) अंकित होता है। इसे पहाड़ी, गढ़वाली और देवपुरी टोपी के रूप में प्रतिष्ठा है। लोग उत्तराखंड के स्वाभिमान के नाम से भी इसे जानते हैं। गांधी टोपी की तरह दिखने वाली ब्रह्मकमल …
आशुतोष मिश्र/ मुरादाबाद। मुरादाबाद की सायरा बानो ब्रह्मकमल टोपी बुनेंगी। यह टोपी उत्तराखंड की पहचान है, जिसके आगले हिस्से में राजकीय फूल (ब्रह्मकमल) अंकित होता है। इसे पहाड़ी, गढ़वाली और देवपुरी टोपी के रूप में प्रतिष्ठा है। लोग उत्तराखंड के स्वाभिमान के नाम से भी इसे जानते हैं। गांधी टोपी की तरह दिखने वाली ब्रह्मकमल टोपी ऊनी कपड़े से तैयार होती है। गहरे रंग से इसकी पहचान है।
देश के 73वें गणतंत्र उत्सव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिर पर यह टोपी सजी थी। राजपथ के आयोजन में प्रधानमंत्री के सिर पर टोपी देखके बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुशी जाहिर कर थी। इसे उत्तराखंड के प्रतीक और सम्मान से जोड़ा था। सोशल मीडिया के संदेश में इसे देवपुरी टोपी बताते हुए प्रदेश के लिए आह्लाद का विषय ठहराया था। रंगीन बुनाई और बॉर्डर वाली टोपी की उत्तराखंड में बहुत मांग है।
उल्लेखनीय यह है कि जिले (मुरादाबाद) के राजा के सहसपुर (बिलारी) निवासी सायरा बानो स्वयं सहायता समूह ने इस ब्रांड की कमान अपने हाथों ली है। दिल्ली के सदर बाजार के कारोबारी ने पांच से छह लाख टोपी पीस का आर्डर दिया है। यह ब्रांड पहाड़ में रहने वाले हर किसी के सिर की शान और पहचान के रूप में दर्ज है। जैसे प्रधानमंत्री के सिर यह टोपी सजी उसके बाद से देश भर में इसकी मांग बढ़ गई है। शादी-ब्याह और आयोजनों में हर पहाड़ी के सिर पर टोपी होती है।
अमृत विचार से बातचीत में सायरा कहतीं हैं कि थोक में एक टोपी की कीमत 30 रुपये है। एक पीस तैयार करने में 20 से 25 मिनट का समय लग रहा है, उसे बनाने के लिए गर्म कपड़े प्रयोग में लाए जाते हैं। अमृतसर, लुधियाना से कपड़े आते हैं। हमारे समूह को दिल्ली के सदर बाजार की कंपनी ऑर्डर मिला है। समूह की 50 से 60 महिलाएं इस काम में जुटीं हैं। सायरा कहती हैं कि इस पहाड़ी टोपी के बीच में बनने वाला ब्रह्मकमल सबसे महत्वपूर्ण है।
ब्रह्मकमल को उत्तराखंड का राजकीय फूल घोषित किया गया है, इसलिए पहाड़ का हर आदमी इसे धार्मिक दृष्टि से देखता है। बताती हैं कि हमारे समूह के लिए यह सौभाग्य की बात है कि प्रशिक्षित महिलाएं यूपी के इस समूह से ब्रह्मकमल आधरित टोपी का निर्माण कर रही हैं। शायरा के समूह को दुनिया के बड़े और धनी मुस्लिम देशों में टोपी निर्यात करने के लिए कई पुस्कार मिल चुके हैं। तीन साल पहले इंडोनेशिया में ईद की टोपी ने धूम मचाया था।
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