तहजीब और ऐतिहासिक विरासत के शहर लखनऊ में नहीं मिल पा रही हैं मूलभूत सुविधायें, तरस रहे लोग
लखनऊ । राजधानी लखनऊ नवाबों का शहर अब मैट्रो सिटी का दर्जा पा चुका है, यहां की तहजीब और ऐतिहासिक विरासत इस शहर को अन्य शहरों से खास बनाती है। लेकिन एक तरफ जहां इस शहर की तमाम खूबियां इसकों खूबसूरत बना रही हैं, वहीं प्रशासन की आरामतलबी व जनप्रतिनिधियों की अनदेखी इसी शहर के …
लखनऊ । राजधानी लखनऊ नवाबों का शहर अब मैट्रो सिटी का दर्जा पा चुका है, यहां की तहजीब और ऐतिहासिक विरासत इस शहर को अन्य शहरों से खास बनाती है। लेकिन एक तरफ जहां इस शहर की तमाम खूबियां इसकों खूबसूरत बना रही हैं, वहीं प्रशासन की आरामतलबी व जनप्रतिनिधियों की अनदेखी इसी शहर के वासियों को मूलभूत सुविधाओं से दूर रखे हुये है । मैट्रो सिटी में आज भी कई इलाके ऐसे हैं जहां के लोग नाली,सड़क व सफ-सफाई के लिए तरस रहे हैं,उन्हीं में से एक इलाका फैजुल्लागंज वार्ड तृतीय बताया जा रहा है, सबसे बुरी स्थित में इस वार्ड का भरत नगर व गायत्री नगर इलाका है,यहां की तस्वीरें इस इलाके की बदहाली बताने के लिए काफी है।
लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं
नगर निगम के इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं। वार्डवासी गर्मी में पानी की किल्लत से जूझते हैं तो बरसात में कच्ची व टूटी सड़क की दिक्कत आम बात है। पानी गिरने पर सड़क नाले का रूप ले लेती है। वार्ड में ज्यादातर कॉलोनियों से होकर जाने वाली बहुत सी सड़कें आज भी कच्ची हैं, जिनमें जगह-जगह गड्ढे हैं। थोड़ी सी भी बारिश होने पर इनमें पानी भर जाता है। इलाकायी लोगों का कहना है कि कई बार सड़क बनाने की मांग की गई, लेकिन पार्षद से लेकर विधायक तक सुनकर अनसुना कर देते हैं।
इस इलाके के लोगों की माने तो विकास की गति अभी तक यहां रफ्तार नहीं पकड़ सकी है। अमृत विचार की टीम ने रविवार को भरतनगर व गायत्री नगर इलाके की जमीनी हकीकत समझी।
यह इलाका सीतापुर रोड से महज कुछ कदम की दूरी पर स्थित है। यहां पर साफ- सफाई व्यवस्था हासिये पर है, खाली पड़े कई प्लाट कूड़ा घर का रूप ले चुके हैं। क्षेत्रवासी विजय शुक्ला बताते हैं कि इस इलाके की सबसे बड़ी दिक्कत गंदगी व सड़क का न बनना है, उन्होंने कहा कि हम पैसा देते हैं ,उसके बाद भी हमकों सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
सफाई कर्मी कूड़ा उठाने का मांगते हैं पैसा
भरत नगर की निवासी किरण बताती हैं कि गंदी नाली व कूड़ा समस्या का सबब बना हुआ है,इलाके में मच्छर बहुत हैं, मच्छरों के खिलाफ भी कोई अभियान नहीं चल रहा है। वह तो यहां तक आरोप लगाती हैं कि सफाई कर्मी प्रति घर 50 रूपये की मांग करते हैं,उसके बाद भी कूड़ा उठाने नहीं आते हैं। कई बार जनप्रतिनिधियों से गुहार लगायी लेकिन कोई सुनता ही नहीं है।
रजनीश कुमार बताते हैं कि साफ–सफाई व्यवस्था बदहाल है,खाली पड़े प्लाट कूड़ा घर बन चुके हैं। खाली प्लाट भी लोगों के लिए समस्या बनते जा रहे हैं।
मंसूर बताते हैं कि खुला नाला व हाइटेंशन लाइन आये दिन दुर्घटना का सबब बनते जा रहे हैं,कई बार घटनायें हुयी, लेकिन कोई देखने वाला नहीं है।
नीतू वर्मा बताती है कि इलाके में काफी बड़ा नाला है,वह खुला हुआ है। कई बार बच्चों को चोट लग चुकी है,आवारा पशु भी गिर जाते हैं,एक बार क्षेत्र के विधायक नीरज बोरा से हमलोगों ने शिकायत की थी,लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुयी।
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