लखनऊ : एफएसडीए के रडार पर ब्लड बैंक के डॉक्टर, जानिये क्या है पूरा मामला
लखनऊ, अमृत विचार। खून के काले कारोबारियों पर शिकंजा कसने के बाद एसटीएफ और खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के निशाने पर अब ब्लड बैंकों में तैनात डॉक्टर हैं। इन डॉक्टरों के लाइसेंस के आधार पर ब्लड बैंकों को मान्यता मिली है। अधिकारियों का कहना है कि दूसरे जिलों से आने वाले खून के मामले …
लखनऊ, अमृत विचार। खून के काले कारोबारियों पर शिकंजा कसने के बाद एसटीएफ और खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के निशाने पर अब ब्लड बैंकों में तैनात डॉक्टर हैं। इन डॉक्टरों के लाइसेंस के आधार पर ब्लड बैंकों को मान्यता मिली है। अधिकारियों का कहना है कि दूसरे जिलों से आने वाले खून के मामले में डॉक्टरों की भूमिका संदिग्ध है। इसकी जांच की जा रही है।
लखनऊ में 30 प्राइवेट और छह सरकारी अस्पताल में ब्लड बैंक का संचालन हो रहा है। चार चैरिटेबल ब्लड बैंकों में छापेमारी हो चुकी है। इनमें दूसरे राज्यों से खून की आपूर्ति का भंडाफोड़ हुआ है। चारों ब्लड बैंक से बरामद खून जब्त कर लिए गए हैं। जबकि खून के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि ब्लड बैंक के लाइसेंस के लिए पैथोलॉजिस्ट की जरूरत होती है। बिना पैथोलॉजिस्ट के ब्लड बैंक का लाइसेंस जारी नहीं किया जा सकता है।
अधिकारियों का कहना है कि ब्लड बैंकों के डॉक्टरों की भूमिका की जांच की जाएगी। इतना ही नहीं खून लाने के बाद उसके रख-रखाव के नियमों की अनदेखी की जांच भी होगी। फिलहाल दो चैरिटेबल ब्लड बैंक के डॉक्टर शहर के बाहर हैं। जबकि नारायणी और मिडलाइफ ब्लड बैंक के कर्मचारियों को पुलिस जेल भेज चुकी है।
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