बरेली: 60 लाख डकार गए अधिकारी-कर्मचारी, वेतन से होगी वसूली
बरेली, अमृत विचार। सरकारी सिस्टम दोषी अधिकारी-कर्मचारियों को किस हद तक कार्रवाई से बचने के लिए मौका देता है, इसका खुलासा अपर भूमि व्यवस्था आयुक्त (लेखा) शिवेंद्र कुमार मिश्र का पत्र कर रहा है। 10 दिसंबर 2012 को राजस्व परिषद की ओर से विशेष जांच की रिपोर्ट डीएम को भेजी गई थी, जिसमें 182 मामलों …
बरेली, अमृत विचार। सरकारी सिस्टम दोषी अधिकारी-कर्मचारियों को किस हद तक कार्रवाई से बचने के लिए मौका देता है, इसका खुलासा अपर भूमि व्यवस्था आयुक्त (लेखा) शिवेंद्र कुमार मिश्र का पत्र कर रहा है। 10 दिसंबर 2012 को राजस्व परिषद की ओर से विशेष जांच की रिपोर्ट डीएम को भेजी गई थी, जिसमें 182 मामलों में अधिकारी-कर्मचारियों को दोषी माना गया। पीसीएस रैंक के कई अफसरों के साथ बड़ी संख्या में बाबू सरकारी धन की मलाई खाने वालों में शामिल हैं।
स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि जो भी दोषी हैं उन अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन से सरकारी धन की वसूली करें लेकिन जिम्मेदारों ने ऐसा खेल रचा कि 10 साल के बाद भी एक भी अधिकारी और कर्मचारी से 60 लाख 22 हजार 107 रुपये में से एक रुपये भी वसूल नहीं हुआ। जांच में दोषी करार देने के बावजूद सभी के गुनाह पर अधिकारी पर्दा डालते रहे। अपर भूमि व्यवस्था आयुक्त (लेखा) की जब चिट्ठी आई तब अधिकारियों ने सुध ली। अब ऑडिट रिपोर्ट को ढूंढा जा रहा है ताकि दोषियों से सरकारी धन की रिकवरी कराई जा सके।
वेतन पुनरीक्षण एवं एसीपी के निर्धारण में भी हुआ था खेल
10 साल पहले अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन पुनरीक्षण और एसीपी के निर्धारण में भी खेल हुआ था। जिम्मेदारों ने तमाम अधिकारी-कर्मचारियों को अधिक सरकारी धन जारी कर दिया। जब जनपद की विभिन्न योजनाओं, कार्यालयों में वेतन पुनरीक्षण तथा एसीपी व्यवस्था के तहत किए गए वेतन निर्धारण व अधिष्ठान लेखों की विशेष जांच कराई गई तब जिम्मेदारों का खेल उजागर हुआ था। 60 लाख से अधिक का घोटाला पकड़ा गया था।
परिषद ने जताई चिंता, जानबूझकर नहीं वसूली रकम
राजस्व परिषद की ओर से भूमि व्यवस्था आयुक्त (लेखा) ने भेजी चिट्ठी में कहा है कि वसूली अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन से की जानी थी लेकिन इस बात को 10 साल हो गए। अभी तक वसूली न किया जाना बेहद चिंतनीय है। ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित कर्मचारी-अधिकारियों द्वारा इस कार्य में अपेक्षाकृत रुचि नहीं ली गई है या जानबूझकर वसूली नहीं की गई, जबकि दोषी अधिकारी-कर्मचारियों को निरंतर वेतन भुगतान किया गया है।
कार्रवाई की जगह दोषियों को मिलती आ रही है माफी
कलेक्ट्रेट, तहसीलों समेत अन्य सरकारी दफ्तरों में कई बड़े-बड़े कारनामे हुए हैं। विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी कार्यालय का चार्ज संभालने वाले चार सीनियर पीसीएस अफसरों की गर्दन नियुक्ति विभाग की अलमारी की फाइल में आज भी दबी है। मीरगंज तहसील में एक बाबू ने कई साल पहले 10 लाख का सरकारी धन हड़प लिया। बाबू निलंबित हुआ, लेकिन इसमें 10 से ज्यादा तहसीलदारों की गर्दन फंसी थी। इन तहसीलदारों ने प्रोन्नति पाने और कार्रवाई से बचने के लिए उपरोक्त सरकारी रकम जमा कर दी लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं हुई। दोषियों को सजा के बदले माफी मिलती आ रही है।
यह भी पढ़ें- बरेली: चलन से गायब होते जा रहे दो हजार रुपये के नोट
