नैनीताल: हाईकोर्ट ने पलटा निचली अदालत का फैसला, दुष्कर्म का आरोपी बरी
नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विशेष न्यायाधीश पॉक्सो/अपर सत्र न्यायाधीश ऊधमसिंह नगर के आदेश को निरस्त करते हुए जेल में बंद आरोपी को दुष्कर्म के आरोपों से बरी कर दिया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि निचली अदालत ने गवाहों व साक्ष्यों का परीक्षण किए बिना आरोपी को 12 साल के …
नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विशेष न्यायाधीश पॉक्सो/अपर सत्र न्यायाधीश ऊधमसिंह नगर के आदेश को निरस्त करते हुए जेल में बंद आरोपी को दुष्कर्म के आरोपों से बरी कर दिया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि निचली अदालत ने गवाहों व साक्ष्यों का परीक्षण किए बिना आरोपी को 12 साल के कारावास और 50 हजार का अर्थदंड लगाया।
मामले के अनुसार, 31 अगस्त 2013 को सूरजपाल जोकि रुद्रपुर में एक होटल में काम करता था, ट्रांजिट कैंप की एक किशोरी को ले गया था। 18 सितंबर को किशोरी के पिता ने ट्रांजिट कैंप, रुद्रपुर में आरोपी के खिलाफ अपनी पुत्री को ले जाने व दुष्कर्म करने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 29 अक्टूबर 2013 को पुलिस ने आरोपी सूरजपाल को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से किशोरी को बरामद कर नारी निकेतन भेज दिया था।
हाईकोर्ट ने नियुक्त किया था न्याय मित्र
इस मामले में अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष जज पॉक्सो ऊधमसिंह नगर नीलम रात्रा की अदालत ने 10 अगस्त 2015 को अपने आदेश में सूरजपाल को दुष्कर्म व नाबालिग लड़की को भगाने के जुर्म में 12 साल की जेल व 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई थी। इस मामले में जेल में बंद सूरजपाल की पैरवी के लिये उसके परिजन नहीं आये।
जिस कारण उसने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को न्याय हेतु पत्र भेजा, जिसमें उसने लिखा कि जिस लड़की को वह भगाकर ले गया, वह बालिग है। लड़की की उम्र 23 साल व स्वयं उसकी उम्र 25 साल है। इस मामले में जांच अधिकारी ने विवेचना के समय लड़की के नाबालिग होने संबंधी कोई प्रमाण पत्र कोर्ट में नहीं दिया और न ही पीड़िता के धारा 164 के अंतर्गत बयान दर्ज कराए।
इसके अलावा गवाहों के परीक्षण न कराए जाने का भी उल्लेख इस पत्र में किया गया, जिसका हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए जेल में बंद सूरजपाल की पैरवी के लिये अधिवक्ता डीएन शर्मा को न्याय मित्र नियुक्त किया।
न्यायमित्र ने सौंपे तथ्य
न्यायमित्र डीएन शर्मा ने जेल में बंद सूरजपाल से तथ्यों की जानकारी जुटाकर कोर्ट में पेश किये, जिसमें लड़की के बालिग होने, दोनों के एक-दूसरे से प्यार करने, उनके द्वारा आर्य समाज मंदिर में शादी करने के तर्क मुख्य थे। इन तर्को के आधार पर न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी एवं न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने जेल में बंद सूरजपाल को दुष्कर्म सहित सभी आरोपों से बरी कर दिया है।
