बराक के ‘ऑपरेशन नेपच्यून स्पीयर’ के 11 साल बाद बाइडेन ने दोहराया इतिहास

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काबुल। 9/11 हमले के 10 साल बाद अमेरिका ने 2011 में ओसामा बिन-लादेन को, तो उसके 11 साल बाद 2022 में अल-जवाहिरी को मार गिराया है। 9/11 हमले की घटना 21 साल पहले 2001 की है। जब एक इस्लामिक चरमपंथी समूह ने विश्व के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका को हताहत करने का निशाना बनाया। 9 …

काबुल। 9/11 हमले के 10 साल बाद अमेरिका ने 2011 में ओसामा बिन-लादेन को, तो उसके 11 साल बाद 2022 में अल-जवाहिरी को मार गिराया है। 9/11 हमले की घटना 21 साल पहले 2001 की है। जब एक इस्लामिक चरमपंथी समूह ने विश्व के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका को हताहत करने का निशाना बनाया। 9 सितम्बर 2001 में एक इस्लामिक चरमपंथी समूह से जुड़े 19 आतंकवादियों ने अमेरिकी एयरलाइन को हाईजैक कर आत्मघाती हमला किया। अमेरिका के इतिहास का ही नहीं बल्कि ये दुनिया का अब तक का सबसे घातक आतंकवादी हमला था। इसमें हजारों की संख्या में लोग काल के मुंह में समा गए।

इसके बाद अमेरिका ने ओसामा बिन-लादेन को मार गिराने के लिए ठान लिया। अमेरिका ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया। इसके 10 साल बाद ‘ऑपरेशन नेपच्यून स्पीयर’ के तहत 2 मई 2011 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के नेतृत्व में अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन अल – क़ायदा का नेता ओसामा बिन ला देन को अमेरिकी खूफिया एजेंसी ने पाकिस्तान के एटाबाद में खोज निकाला। खूफिया एजेंसी के निशाने पर अमेरिकी नीव सील्स के कमांडो ने ओसामा बिन ला देन को मार गिराया। अब अमेरिका के टार्गेट पर उसका दूसरा सबसे बड़ा दुश्मन अल-ज़वाहिरी था।

अल-ज़वाहिरी 22 मोस्ट वॉन्टेड में शामिल
ओसामा बिन-लादेन के बाद अल-क़ायदा का अल-ज़वाहिरी दूसरे नंबर का नेता था। अल-ज़वाहिरी को अमेरिका ने 2001 में 22 मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादियों की सूची में रखा था। अमेरिका ने अल-ज़वाहिरी पर 2.5 करोड़ डॉलर का इनाम भी रखा था। 2011 में ओसामा बिन-लादेन को अमेरिका ने मारा था और तभी से अल-क़ायदा की कमान अल-ज़वाहिरी के पास थी। इससे पहले अल-ज़वाहिरी को ओसामा बिन-लादेन का दाहिना हाथ माना जाता था। 9/11 यानी 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हमले के पीछे अल-ज़वाहिरी का ही दिमाग माना जाता है।

अल-जवाहिरी ने राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को दी थी धमकी
2007 में अल-जवाहिरी 16 वीडियो और ऑडियो टेप में सामने आया था, जो कि ओसामा बिन-लादेन से चार गुना ज़्यादा था। अल-क़ायदा ने दुनिया भर के मुसलमानों में कट्टरता और अतिवाद भरने की कोशिश की। पिछले हफ्ते अमेरिका ने जब काबुल में जवाहिरी के ठिकाने पर हमला किया तो यह कोई पहली कोशिश नहीं थी। इससे पहले जनवरी 2006 में भी अमेरिका ने अफगानिस्तान से लगी पाकिस्तान की सीमा पर मिसाइल से हमला किया था। इस हमले में अल-कायदा के चार सदस्य मारे गए थे। लेकिन, अल-जवाहिरी बच गया था । हमले के दो हफ्ते बाद अल-जवाहिरी एक वीडियो में सामने आया और उसने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को धमकी देते हुए कहा था कि दुनिया की सारी शक्तियां उनके पास नहीं हैं।

इधर, अमेरिका की खूपिया एजेंसी लगातार अल-कायदा का मुखिया अयमन अल-जवाहिरी पर नजर बनाया हुआ था। जवाहिरी अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद से ही काबुल में रह रहा था। खुफिया सूचना मिलने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के नेत‌ृत्व में 31 जुलाई 2022‌‌ रविवार दोपहर जवाहिरी पर ड्रोन स्ट्राइक की गई, जिसमें उसकी मौत हो गई। अमेरिका ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अलकायदा सरगना अल जवाहिरी को एक ड्रोन स्ट्राइक में मार गिराया। जवाहिरी ने 2011 में अलकायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद इस आतंकी संगठन की कमान संभाली थी।

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