भारत ने ही दुनिया को सभ्यता-संस्कृति और शांति दी है: मीनाक्षी लेखी
जयपुर। प्रदेश के सिरोही जिले के आबू रोड स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय में रविवार को चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने रविवार को कहा कि भारत ने ही दुनिया को सभ्यता-संस्कृति और शांति दी है। मीनाक्षी लेखी ने कहा …
जयपुर। प्रदेश के सिरोही जिले के आबू रोड स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय में रविवार को चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने रविवार को कहा कि भारत ने ही दुनिया को सभ्यता-संस्कृति और शांति दी है।
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि हमारे समाज की प्रार्थना और सोच ही सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया: की रही है। जहां सब सुखी रहें, सब स्वस्थ रहें। उन्होंने कहा कि भारत ने ही दुनिया को सभ्यता- संस्कृति औैर शांति दी है। समाज में व्याप्त बुराइयां व्यक्ति के दिमाग की उपज हैं।
Delighted to inaugurate the Global Summit on “India- Harbinger of World Peace” organised by @BrahmaKumaris in Mount Abu.
Highlighted India’s intrinsic Culture of Peace that goes from individual to the universe & our gift to the ?- Yoga, which furthers peace through meditation. pic.twitter.com/cYFMZEO3xi
— Meenakashi Lekhi (@M_Lekhi) September 11, 2022
उन्होंने मीडिया से आह्वान किया कि जो लोग समाज में लोक हित के काम कर रहे हैं उसे भी दिखाया जाना चाहिए ताकि लोग अच्छे कार्य से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ सकें। उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और राज्यसभा सदस्य न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा कि ब्रह्माकुमारी से लोगों को मूल्य, सभ्यता, संस्कृति, योग, अध्यात्म की शिक्षा दी जा रही है। यहां से व्यवहारिक ज्ञान समाज को दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि योग से ही दुनिया में बदलाव आएगा और योग-अध्यात्म से ही दुनिया में शांति आएगी। उन्होंने कहा कि यहां से आत्मा के ज्ञान द्वारा दुनिया को शांति का संदेश दिया जा रहा है । हरियाणा सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री ओम प्रकाश यादव ने कहा कि मानव सेवा, गरीब की सेवा, गौ सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है। अहिंसा परमो धर्म: का हमारा संस्कार रहा है।
उन्होंने कहा कि संस्कार होते हैं सतकर्मों का प्रतिफल, हम कार्य ठीक करें, सही दिशा में करें तो सब ठीक हो जाएगा, मनुष्य में विद्या होती है और अच्छे संस्कारों का व्यक्ति उसे दान करेगा और संस्कारहीन उस विद्या को लेकर विवाद करेगा। संस्थान की मुख्य प्रशासक राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि स्वर्णिम भारत की एक झलक देखने के लिए आज पूरा विश्व आतुर है और इस वैश्विक शिखर सम्मेलन में देश-विदेश से पांच हजार से अधिक शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ, समाजसेवी, मीडियाकर्मी, विश्वविद्यालयों के कुलपति पहुंचे हैं।
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