ये कुछ मुगल लड़कियां-नूरजहां, मेहरुन्निसा, शाजिया : अनामिका

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औलिया के मज़ार के झरोखे की फूलदार जाली पर क्या जाने कब से ऊंचा बंधा मन्नतों का लाल धागा मौसमों की मार सहकर भी सब्र नहीं खाता! ढीली नहीं पड़ती कभी गांठ उसकी! उस गांठ-सी ही बुलंद और कसी हुई ये कुछ मुगल लड़कियां- नूरजहां, मेहरुन्निसा, शाजिया चांदवारा के गुरुद्वारे में स्पास्टिक बच्चों को इतिहास-भूगोल-हिंदी …

औलिया के मज़ार के झरोखे की
फूलदार जाली पर
क्या जाने कब से ऊंचा बंधा
मन्नतों का लाल धागा
मौसमों की मार सहकर भी
सब्र नहीं खाता!
ढीली नहीं पड़ती कभी गांठ उसकी!
उस गांठ-सी ही बुलंद और कसी हुई
ये कुछ मुगल लड़कियां-
नूरजहां, मेहरुन्निसा, शाजिया
चांदवारा के गुरुद्वारे में
स्पास्टिक बच्चों को
इतिहास-भूगोल-हिंदी पढ़ाती हैं।
सिंधी कढ़ाई में तो इनका कोई जवाब ही नहीं।
जो बातें इनको चुभ जाती हैं,
ये उनकी सुई बना लेती हैं।
चुभी हुई बातों की ही सुई से इन्होंने
काढ़े हैं आकाश पर ये सितारे
और धरती के ये सारे नजारे
जो सोचा था अम्मी ने चाव से
भेजेंगी इनके दहेज में।
धीरे-धीरे ये बड़ी हो गईं इतनी-
दुनिया के सब बन्दे बुतरू हुए इनके आगे,
जब ये पैंतीस-पार पहुंचीं
एक-एक कर ये नायाब मेजपोश और दुपट्टे
निकलते गए बक्से के बाहर-
कुछ दोस्तों के निकाह में खपे,
कुछ उनके बच्चों की सालगिरह पर काम आए!
सरहद के कद्दावर पेड़-सी अकेली ये
कोई भी सरहद नहीं मानतीं-
सरहद के दोनों तरफ गिरती है इनकी छांव।
दंगों में बेघर हुआ
तेरह बरस का संजीवन
इनके ही घर तो पला!
ये सूरज उनका गुलूबंद है-गोल करके तहाया हुआ
दरगाहों पर जितने दिये हैं-
इनकी आंखों से उजास मांगते हैं
और ये जाने किस-किस के लिए मांगती हैं दुआएं!
सारी दुनिया इनका गोद लिया बच्चा हो जैसे
हयात-ए-तय्यबा, हयात-ए-हुक्मी!

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